Sunday, 1 March 2015

Precaution in exercise during pregnancy


गर्भावस्था के दौरान पेट के लिए एक्सरसाइज में सावधानियां
मां बनना किसी भी महिला के लिए एक सुखद एहसास है, माँ बनना प्रसव-के-बाद-व्यायामयानि एक नई दुनिया में प्रवेश करना। नई जिम्मेदायों से रु-ब-रु होना, लेकिन इस नई दुनिया में प्रवेश करने से पहले यह ज़रूरी है की गर्भावस्था के दौरान महिला अपनी उचित देखभाल करे ताकि न केवल बच्चा स्वस्थ पैदा हो बल्कि जच्चा भी अपने इस अनुभव का आनंद ले। आइये जानें गर्भावस्था के दौरान ऐसे कौन से व्यायाम किए जा सकते हैं, जिससे की प्रसव में परेशानी नहीं हो। पेट के लिए कसरत कौन-कौन सी करें।
प्रसव-के-बाद-व्यायाम
प्रसव के बाद व्यायाम
गर्भावस्था के दौरान एक्सरसाइज में सावधानियांगर्भावस्था के दौरान टहलने, साइक्लिं ग और प्रशिक्षित शिक्षक की देखरेख में योगाभ्यास किया जा सकता है।
गर्भावस्था में व्यायाम करने से पहले ज़रूरी है आप अपने डॉक्टर की सलाह लें और यह जानें कि कौन सा व्यायाम आपको सूट करेगा।
सुरक्षित उदर कसरत के दौरान कभी भी पैरों पर दवाब नहीं आने दें।
पहली तिमाही के बाद ऐसे व्यायाम से बचें जिन में पीठ के बल लेटने की ज़रुरत होती है क्योंकि इससे आपको और आपके बच्चे तक ऑक्सीजन पहुँचने में दिक्कत हो सकती है।
पेट के लिए कसरत
पेट का संकुचन- इस कसरत को करने के लिए तकिए या बॉल की आवश्यकता पड़ती है। बॉल के सहारे लेट जाएँ, गहरी सांस लें ताकि आपकी छाती और पेट में हवा पूरी तरह भर जाये। फिर धीरे-धीरे हवा को निकाल दें। ऐसा करने से पेट में संकुचन नहीं होगा।
प्रसव-के-बाद-व्यायाम
प्रसव के बाद व्यायाम
पेडू को हिलाना-अपने हाथों और घुटनों के सहारे शरीर को संतुलित करें। अब पेट की मांसपेशियों को संकुचित कर पेडू को तिरछा करें। इस प्रक्रिया में इस बात का खास ख्याल रखें कि पीठ कर्व न हो। इस मुद्रा में कुछ सेकण्ड तक रहें।
बगल में झुकना-अपने हाथों और घुटनों के सहारे शरीर को संतुलित करें। अब शरीर को धीरे-धीरे बायीं और दायीं तरफ घुमाएँ।
रोल बैक-ज़मीन पर चौकड़ी मार कर बैठें। अब जितना आप पीछे जा सकती हैं उतना पीछे जाएँ। कुछ देर रुकें फिर वापस आयें। अगर ज़रुरत पड़े तो सहारे के लिए अपने हाथों को या तो घुटनों पर रखें या फिर ज़मीन पर।
व्यायाम के लाभ
  • व्या‍याम से पीठ दर्द में भी राहत मिलती है ।
  • कब्ज की शिकायत रहने वाली महिलाओं के लिए भी व्यायाम अच्छा है ।
  • व्यायाम करने से रक्तसंचार की समस्या नहीं रहती।
  • आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान महिला सारे घरेलू काम तो करती हैं, लेकिन उनका नियमित हल्के-फुल्के व्यायाम करने पर ध्यान नहीं जा पाता। गर्भावस्था में स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि हल्का-फुल्का व्यायाम ऐसा नहीं है कि आप न कि घरेलू कामकाज को ही व्यायाम

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nausea symptoms occurs during pregnancy

गर्भावस्था के पहले हफ्ते में लक्षण 
Symptoms in pregnancy
 
किसी भी महिला का गर्भवती होना और मां बनना सबसे सुखद अनुभव होता है। आमतौर पर गर्भधारण के बाद पहले या दूसरे हफ्ते में कम ही महिलाओं को इसका अंदाजा होता है कि वे गर्भवती हैं।
गर्भावस्था के पहले हफ्ते में लक्षण
गर्भावस्था के पहले हफ्ते में लक्षण
गर्भधारण के बाद महिला गर्भावस्था के विभिन्न चरणों से गुजरती है। प्रारंभिक चरणों में गर्भावस्था की स्थिति का पता नहीं चलता, लेकिन डॉक्टर से बीच-बीच में जांच कराने या गर्भधारण करने की संभावना होने के बाद इस स्थिति और गर्भावस्था के शुरूआती लक्षणों को पहचाना जा सकता है। इस लेख के जरिए हम बात करते हैं प्रेग्नेंूसी के लक्षणों और गर्भावस्था के पहले सप्तााह के बारे में।
पहले सप्ता्ह के लक्षण
  • स्वस्थ महिला को प्रतिमाह माहवारी निश्चित समय या उसके आसपास होती है, लेकिन गर्भधारण के पहले लक्षण में माहवारी आनी बंद हो जाती है।
  • गर्भधारण के प्रारंभिक लक्षणों में जी मिचलाना, उल्टी होना, बार-बार पेशाब जाना, आदि भी शामिल है।
  • माहवारी के 14 दिन बाद ओवुलेशन का समय शुरू होता है। यह समय गर्भधारण के लिए बेहतर होता है।
  • गर्भधारण के बाद हार्मोंन परिवर्तन होने लगते हैं, जिससे गर्भवती महिला के व्यवहार में उतार-चढ़ाव आना शुरू हो जाता है।
  • गर्भावस्था में उल्टियां आना एक विशेष लक्षण है। बार-बार उल्टियां आने और गर्भधारण की शंका होने पर एंटीबायोटिक लेने से अच्छाा है कि डॉक्टर की सलाह लें।
  • गर्भधारण के बाद अक्सरा थकान रहने की शिकायत होने लगती है। सिर दर्द रहने लगता है, शुरूआती दिनों में पैरों पर सूजन दिखाई पड़ने लगती है।
  • गर्भावस्था का प्रारंभिक दौर एक माहवारी के पूरा होने से दूसरी महावारी के शुरू होने के बीच का होता है। यानी पहली महावारी के अंतिम दिन से दूसरी महावारी तक गर्भधारण हुए 28 दिन मान लिए जाते हैं। हालांकि यह तय नहीं है, लेकिन आमतौर पर गर्भधारण की प्रक्रिया में यही फॉर्मूला अपनाया जाता है।
गर्भधारण के बाद आहार
  • गर्भधारण के बाद गर्भवती महिला के खान-पान में तुरंत बदलाव कर देना चाहिए। अब उसे अपने लिए नहीं बल्कि अपने गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिए भी खाना है।
  • गर्भधारण के तुरंत बाद यानी प्रारंभिक चरण से ही मदिरापान, नशीले पदार्थों का सेवन आदि बंद कर देना चाहिए।
  • डॉक्टर से संपर्क कर अपनी खाने-पीने की आदतों और अन्य दिनचर्या जैसे रहन-सहन आदि के बारे में बात करनी चाहिए, ताकि डॉक्टर आको सही सलाह दे पाएं।
  • अपने आहार में विटामिन, प्रोटीन और कैलोरी की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। लेकिन ध्यान रहे विटामिन ई और सी की मात्रा कितनी ली जाए इस बारे में डॉक्टर से परामर्श कर लें।
  • गर्भधारण के बाद शुरूआत में विटामिन बी यानी फोलिक एसिड का सेवन करें। इस विटामिन को लेने से होने वाले बच्चे में जन्मजात दिमाग और रीढ़ की हड्डी में खराबी होने से बचा सकता है। हालांकि डॉक्टर से भी सलाह लेनी चाहिए कि क्या आप उचित मात्रा में इस विटामिन का उपयोग कर रही हैं।
  • इसके अलावा भूख न लगने पर भी थोड़ा-थोड़ा खाते रहना चाहिए, जिससे बच्चे को भरपूर पोषण मिलता रहे और आप डॉक्टर से अपना डाइट चार्ट बनवा सकती हैं।
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