Friday, 13 March 2015

बर्थ कंट्रोल से संबन्धित 6 सामान्य गलतियां



परिवार नियोजन में बर्थ कंट्रोल अर्थाता प्रेग्नेंट ना होने का बहुत महत्व है। बहुत से कपल्स गर्भनिरोधक इस्तेमाल करने के बाद भी अनियोजित प्रेग्नेंसी से परेशान रहते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप पूरी तरह गर्भनिरोधक के भरोसे न रहें। पति पत्नी बर्थ कंट्रोल में कई सामान्य गलतियां करते हैं। आपको जाना चाहिए कि कौनसा बर्थ कंट्रोल का तरीका कितना कारगर है। हम आपको यहां कुछ बर्थ कंट्रोल से संबन्धित गलतियाँ बता रहे हैं
http://jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BEइलाज रिफ़ंपिन एक एंटीबायोटिक है जो कि गर्भनिरोधक गोलियों के हार्मोनल गर्भनिरोध (गर्भ निरोध प्रभाव), पैच और वर्जिनल रिंग को कमजोर कर सकती है। इस बारे में डॉक्टर से सलाह लें कि कौनसा उपाय आपके लिए सही है। यीस्ट इन्फ़ैकशन या एचआईवी की दवाइयाँ यदि चल रही हैं तो भी गर्भनिरोधक का प्रभाव कम हो जाता है।
गलत लुब्रीकेंट तेल या वेसिलीन के इस्तेमाल से लेटेक्स कोंडोम्स कमजोर हो जाते हैं इस गलती का शिकार बहुत से पति पत्नी होते हैं। सिलिकॉन वाले लुब्रीकेंट का इस्तेमाल करें जो कि दवाइयों की दुकानों और सुपर मार्केट्स में आसानी से उपलब्ध हैं। एक अच्छा अध्ययन और खोज इसमें आपकी मदद कर सकती है।
समय से गोली नहीं लेना यह गलती होती है जब आपको पता नहीं होता कि गोली कब और कैसे लेनी है। सच्चाई यह है कि पूरे पैक में से यदि आपने एक या दो गोली नहीं ली तो भी यह असरकारक नहीं होती हैं, इस बारे में आप डॉक्टर से भी सलाह ले सकती हैं। ये हार्मोन टेबलेट्स हैं जिन्हें रोजाना एक ही समय पर लिया जाना चाहिए।
आसान उपाय पर ज्यादा ज़ोर देना आपको इसके बजाय सभी तरीकों पर विचार करना चाहिए। कई बार ऐसा भी होता है कि आपको पता ही नहीं होता कि आपने गोली कब ली थी। बर्थ कंट्रोल इंजेक्शन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा रिंगस, स्पंज, पैच, डाइअफ्रैम और भी कई चीजें हैं जिनका इस्तेमाल किया जा सकता है।
स्तनपान से संबंधिक गलत धारणा बहुत से पति पत्नी को बच्चे के स्तनपान के दिनों में दूसरी प्रेग्नेंसी का सामना करना पड़ता है। यह आशा ना करें कि स्तनपान के दिनों में आप इससे पूरी तरह सुरक्षित हैं। पहली प्रेग्नेंसी के बाद आप दूसरी बार कब गर्भवती हो जाएंगी और आपको पता भी नहीं चलेगा, इसलिए सावधानी रखें।
सुरक्षित दिन निःसन्देह सेफ डेज सबसे सुरक्षित तरीका है, लेकिन पूरी तरह नहीं। यह तभी कारगर है जब आप सही तकनीक इस्तेमाल करें। ऐसा भी हो सकता है कि ओव्यूलेशन उस दिन नहीं हो जब आप सोचती हैं, यह खास तौर पर उनके साथ होता है जिनमें ओव्यूलेशन की समस्या रहती है।

क्या प्यार का मतलब सेक्स है

क्या प्यार का मतलब सेक्स है

अक्सर युवाओं में प्यार और सेक्स को लेकर अलग-अलग बाते कही जाती है। ऐसे में कुछ ऐसे लोग होते हैं जो प्यार और सेक्स को एक ही मानता है तो कुछ ऐसे जो सेक्स का मतलब प्यार मानता है। लेकिन कुछ ऐसे भी लोग है जो प्यार में सेक्स और सेक्स से पहले प्यार को http://jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BEजरूरी मानता है। प्यार और सेक्स इन दोनों शब्दों के अर्थों में कोई विषेश अंतर नहीं है। प्यार और सेक्स को लेकर हर वर्ग की अपनी-अपनी राय है। आइए हम पोस्ट के द्वारा जाने प्यार का मतलब सेक्स है या कुछ और।
  • प्यार और सेक्स एक ऐसा विषय हैं, जिस पर हर कोई बात करना न तो अच्छा मानता है न ही जरूरी।
  • कुछ लोगों को मानना है कि पहली बार सेक्स करने के लिए या पहली बार सेक्स का अनुभव प्राप्त करने के लिए जरूरी नहीं कि प्यार के चक्कर में पड़ा जाए।
  • एक वर्ग में कुछ लोग ऐसे हैं, जो ये मानते है कि यदि वह किसी से प्यार नहीं करता तो उसके साथ सेक्स संबंध कैसे स्थापित कर सकता है। यानी रिश्ते के साथ-साथ सेक्स होना भी कोई बुराई नहीं।
  • कुछ वर्ग में लोग ऐसे भी है, जो संभोग का मतलब सिर्फ सेक्स मानते हैं यानी उन्हें प्या‍र से मतलब नहीं बल्कि देह से मतलब है और अपनी शारीरिक भूख शांत करने से।
  • कुछ एक वर्ग ऐसे है जिसे संवेदनशील या भावनात्मीक लोगों में जोड़ा जा सकता है, उनका मानना है कि जब तक किसी से प्यार न हो दैहिक रूप से जुड़ना संभव नहीं। वहीं यही वर्ग ये भी मानता है कि यदि वह किसी से दैहिक रूप जुड़ गये हैं तो उसमें प्यार की भावना होना बेहद जरूरी है। साथ ही अगर भावनात्मक जुड़ाव है, तो इस स्थिति में रूप से आप जुड़ गए तो शारीरिक रूप से जुड़ना भी जरूरी नहीं।
  • http://jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BEइन सबके बावजूद ये समझना भी जरूरी है कि क्या प्यार का मतलब सेक्स है? क्या सेक्स का मतलब प्यार है? क्या प्यार के दौरान सेक्स कुछ होता है?
  • अक्सर कहा जाता है कि जहां दो प्रेमी एक-दूसरे से भावनात्मेक रूप से जुड़ गए हैं उनके लिए शारीरिक रूप से जुड़ना मात्र एक औपचारिकता रह जाती है। लेकिन ठीक इसके विपरीत ये भी माना जाता है कि सेक्स प्यार को बढ़ाने और करीब लाने में मदद करता है।
  • ये सिर्फ एक बहस का मुद्दा भर है कि क्या प्यार सेक्स को बढ़ाता है या फिर सेक्स प्यार को बढ़ाने में सहायक है।
  • कुछ लोग प्यार और सेक्स दोनों को बिल्कु्ल अलग-अलग मानते हुए प्यार को जहां एक प्यारा या मधुर अनुभव मानते हैं वहीं सेक्स को शारीरिक जरूरत मानते हैं।
शोधोंकर्ता के अनुसार अगर आपके सेक्सिशुअल रिलेशन अच्छे हैं, तो आपका पार्टनर आपके करीब रहेगा। वहीं सेक्सशुअल रिलेशन अच्छे नहीं होने पर नौबत तलाक तक पहुंच सकती है। यह शोध साबित करता है कि प्यार और सेक्स एक-दूसरे के पूरक है। प्यार के बिना सेक्स संभंव नहीं और सेक्स के बिना प्यार अधूरा है।

27th week of pregnancy baby movement


27वें सप्ताह के साथ स्त्री गर्भावस्था की तीसरी और अंतिम तिमाही में प्रवेश कर जाती है। गर्भावस्था के इस समय में आप शिशु के जन्म  से पूर्व जानकारी देने वाली कक्षाओं में जा सकती है।
यदि गर्भावस्था के दौरान आप अभी तक संतुलित आहार नहीं लिया है, तो अब भी आप संतुलित आहार लेना शुरू कर सकती हैं ताकि आप बच्चे को ज्यानदा से ज्यादा पोषण मिल सकें। केवल कैलोरी ही गर्भस्थु शिशु को स्वस्थ नहीं रख सकती। जो आहार आप ले रही हैं, उससे ही बच्चेा का विकास होता है। इसलिए जरूरी है कि गर्भावस्था के इस सप्ताह में भी संतुलित आहार लें। फल और सब्जियों का अधिक सेवन करें व तले हुए भोजन से परहेज करें।
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गर्भावस्था के 27वें हफ्ते में बच्चे की लंबाई 14 से साढ़े चौदह इंच के करीब और वजन 2 पाउंड के लगभग हो जाता है। इसके बाद शिशु का वजन तेजी से बढ़ता है। अंतिम हफ्तों में तो प्रति सप्तावह आधा पाउंड तक वजन बढ़ सकता है। गर्भस्थे शिश की त्वचा झुर्रियों वाली होती है, क्योंकि वह पिछले पांच महीनों से पानी से घिरा होता है। बच्चे की त्वचा पैदा होने के बाद भी कुछ हफ्तों तक झुर्रियों वाली दिख सकती है। त्वचा का बाहर खिंचाव होगा और चिकनी दिखगी।
बच्चे कि रेटिना का अच्छी गति से विकास हो रहा होता है, वे जल्द ही बच्चे को प्रकाश छवियों को समायोजित करने में मदद करने के लिए सक्षम हो जाएंगी। इन परतों को मस्तिष्क को प्रकाश और कुछ छवियों को प्राप्तव करने के साथ ही मस्तिष्क को वो क्या देख रहे है इसकी सूचना प्रसारित करने में मदद करने के रूप में अच्छी तरह सक्षम माना जाता है। बच्चे की आंखों को ढकने वाली झिल्ली अलग होना शुरू हो जाएगी। कुछ हफ्तों में बच्चा आंखें खोलनें में सक्षम हो जाएगा।
अधिकांश बच्चो की जन्म के समय आंखें नीली होती हैं। अगर आंखों का रंग जन्म के बाद बदलने वाला है, तो यह जन्म के कुछ ही हफ्तो पहले शुरु हो जाएगा। गर्भावस्था में इस सप्ता ह में बच्चा सोने का और जागने का एक समय बना लेता है। आपको जल्द ही इसका अहसास भी हो जाएगा। यदि आपके सोने का समय शिशु के सोने के समय से विपरीत हैं तो इसको मिलाने की कोशिश करें। जब गर्भ में पल रहा शिशु सो रहा है, आप भी http://www.jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%AD%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%82%E0%A4%A3-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%AC%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B8उसी समय सोने की कोशिश करें।
कई बार आप सोने की कोशिश करती हैं, लेकिन उस समय आपको शिशु की लात महसूस होगी। कहा जाता है कि बच्चा गर्भ से ही सपना देखना शुरू करता है। मस्तिष्क अभी भी सक्रिय है और मस्तिष्क की सतह की झुर्रियां प्रदर्शित होना शुरु होंगी, क्योंशकि अब मस्तिष्क के ऊतकों का विकसित होना शुरू हो जाएगा। बच्चे हिचकी ले रहा है, इसका अहसास भी आपको होगा। अब उसके फेफड़ें परिपक्व हो रहे हैं और वे सांस लेने का अभ्यास कर रहे हैं।
गर्भावस्था के 27वें हप्ते में शरीर में परिवर्तन
27वें हफ्ते में शरीर को और अधिक उष्मांक सेवन की जरूरत होता है। इस दौरान 300 से 350 कैलोरी के साथ शुरूआत करना सुरक्षित रहता है। गर्भावस्था के 36वें या 37वें सप्ता0ह तक आपका अधिक वजन बढ़ेगा। गर्भावस्था के इस सप्ताह में कई महिलाओं को लगता है कि वे मोटी लग रही हैं जो उनके लिए सही नहीं है। ऐसे में आप को ध्यान रखना चाहिए कि मोटापे से बचने के लिए अपने आहार में बदलाव न करें क्योंकि इससे आप को बच्चे को कैलोरी उचित मात्रा में नहीं मिल पाएगा। मोटापे की स्थिति में चिंतित हो बल्कि अपने डॉक्टर से सला लें। जन्म के पूर्व विटामिन और पोषक तत्वों की खुराक लेना जारी रखे। इस सप्ताअह में गर्भाश्यल रिब पिंजरे पर झुकता है। गर्भाश्यव फेफड़ों को पूर्ण विस्तार करने से रोकता है, जिसके कारण सांस लेने की कुछ समस्याएं होंगी। डॉक्टडर से बात करे लेकिन आपको चिंता नहीं करनी चाहिए।
गर्भावस्था के इस तीसरी तिमाही में प्रवेश करने पर समय से पहले प्रसव की चेतावनी के संकेत के बारे में डॉक्टर से सलाह लें। गर्मी के महीनों में हाइड्रेशन की कमी कारण ऐसा अधिक होता है। हाइड्रेटेड रहना बहुत जरूरी है, पानी की बोतल हर समय अपने साथ रखे। आपको ज्याादा बाथरूम में जाना पडता है, लेकिन आपको हाइड्रेटेड रहने के लिए यह करना हैं।
http://www.jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%AD%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%82%E0%A4%A3-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%AC%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B8चेतावनी के संकेतों में योनि क्षेत्र से चमकीला लाल रक्ते बहना है। यदि आपको योनि क्षेत्र से अचानक पानी निकलने का अनुभव होता है, तो  तुरंत डॉक्ट र से संपर्क करें। श्रोणि क्षेत्र में गंभीर दर्द या पीठ के निचले हिस्से में बहुत ही सुस्त दर्द का अनुभव हो सकता है। कुछ महिलाओं को एक घंटे या उससे अधिक समय तक संकुचन महसूस होता है। यदि आपके हाथ और पैर फूलते हैं तो यह समय से पहले प्रसव का संकेत हो सकता है।
क्या उम्मीद की जाती है
गर्भावस्था के इस अवस्था में बच्चे की हलचल महसूस होने का मतलब है कि सब कुछ ठीक है। यह बात स्त्री सहज महसूस करती हैं। आपके पेट के क्षेत्र में वजन ढ़ने के कारण आपको बच्चे की लात महसूस नहीं हो सकती हैं। यदि आपको लगता है कि बच्चा थोड़ा सक्रिय है और आप पहले जैसा महसूस नहीं कर रही हैं, तो तुरंत डॉक्टहर से संपर्क करें और उचित सलाह लें।
यदि गर्भावस्था के इस सप्ताह में आपको कब्ज, पैरों में ऐंठन, अस्थिबंध दर्द और लगातार बाथरूम जैसी परेशानी हो तो डॉक्टैर की सलाह लें। वे आपके रक्तिचाप, वजन और मूत्र की लगातार जांच करते रहते हैं। तीसरी तिमाही में आपको उच्च रक्तंचाप या पूर्व एक्लंप्षण नामक हालत से सावधान रहना होगा। इस हालत का मूत्र परीक्षण के माध्यम से निर्धारण किया जा सकता है, ऐसा तब होता है जब मूत्र में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है।

सलाह
गर्भावस्था का यह चरण महत्वपूर्ण है। आपको शारीरिक और मानसिक दोनों स्थितियों से स्वस्थ रहना है। जन्म के पूर्व के विटामिन लेना और अपने आहार में फल और सब्जियों को जोड़ना जारी रखना है। यदि आपको लगता है कि कुछ ठीक नहीं है, तो डॉक्ट र से संपर्क करें या स्थानीय आपातकालीन कक्ष में जाएं।
 

39th week of pregnancy

किसी भी स्त्री के लिए गर्भावस्था का 39वां हफ्ता शुरू होना खुशियों से भरा सप्ताह होता है।  इस हफ्ते के दौरान गर्भवती महिला की घबराहट बढ़ जाती है।गर्भावस्था के दौरान स्त्री को सामान्‍य दिनों के अपेक्षा अतिरिक्‍त देखभाल की आदत हो जाती हैं, ऐसे में आपको आगे के लिए कोई परेशानी न हो इसलिए छोटे-मोटे कामों में अपना हाथ बंटाने के साथ ही व्‍यायाम भी करती रहें। गर्भावस्था की शुरूआत के बाद से इस स्थिति में पहुंचने तक आपने अपने स्‍वास्‍थ्‍य में कई उतार-चढ़ाव देखें हैं।
39वां सप्ताह से जुड़ी बातें
  • 39वां सप्ताह आपकी गर्भावस्था का अंतिम सप्‍ताह हो सकता है। किसी भी समय आपको प्रसव पीड़ा हो सकती है। ऐसे में आप को हमेशा अपने आप को तैयार रखना चाहिए। आमतौर पर 38 हफ्तों में भ्रूण पूरी तरह विकसित हो जाता है।
  • इस सप्ताह जन्‍म लेने वाले शिशु की लंबाई 19 से 21 इंच तक का हो सकती है।
  • इस सप्‍ताह जन्‍म लेने वाला बच्चा लगभग सात से आठ पाउंड का होता है।
  • अब जो बच्‍चा पैदा होगा उसकी त्वचा का गुलाबी रंग, सफेद रंग में परिवर्तित होने लगेगा। यह बाद में गहरे रंग में बदल जाता है। 39वां सप्ताह में शिशु का दिमाग तेजी से विकसित होने लगता है।
http://www.jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%A6%E0%A5%8C%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%87-%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AF-%E0%A4%AC%E0%A4%A6%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B5बच्‍चे का विकास
39वां सप्ताह में गर्भ में पल रहे बच्‍चे की मांसपेशियां परिवक्व हो जाती हैं और बच्चे के सभी अंग पूरी तरह विकसित हो जाते हैं अर्थात इसी सप्‍ताह आपको प्रसव पीड़ा हो तो समझें कि आपका बच्चा पूर्ण विकसित हो चुका है। इस सप्‍ताह में होने वाले बच्‍चे की लंबाई 19 इंच से 21 इंच तक और वजन छह पाउंड तक होता है। इस सप्ताह में बच्चा भी प्रसवास्था में अपनी भागीदारी देता है, जैसे ही वह सहज और अधिक गर्माहट महसूस करता है तो निरंतर बाहर आने का प्रयास करने लगता हैं।
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गर्भवस्था के तीसरे ट्राइमिस्‍टर का अंतिम समय में आपको 475 से 625 किलो कैलोरी की जरूरत होती है। यदि आपका ज्‍यादा वजन बढ़ रहा है तो डॉक्टर से संपर्क करें। गर्भावस्‍था में महिला को ज्‍यादा कैलोरी की जरूरत इसलिए होती है ताकि बच्चे को ऊर्जा मिलती रहे। कैलोरी बढ़ाने के साथ ही गर्भस्‍थ स्त्री के भोजन में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल की मात्रा भी बढ़ा देनी चाहिए।
यह गर्भावस्था की वह अवस्था होती है जब गर्भवती स्त्री को हर समय अपने होने वाले बच्चे को देखने की बहुत इच्‍छा होती है। बच्‍चा होने पर आपको स्‍तनपान कराने के लिए पर्याप्‍त दूध पीने की जरूरत होती है। खाने में कैलोरी की मात्रा बढ़ाने के लिए आप सलाद खा सकती हैं। ताजे फलों और सब्जियों के साथ फाइबर और प्रोटीन भी ले सकती है। लो फैट डेयरी प्रॉडक्ट आपके लिए अच्‍छे रहेंगे। इस समय पानी खूब पीना चाहिए जिससे आपके शरीर में पानी की कमी न हो।

क्या प्यार में डूबा रहता है दिमाग

अक्सर ये देखा गया है कि जब कोई किसी से प्यार करता है तो वे हमेशा ही उसकी यादों में ही खोया रहता है। उसके दिमाग में हमेशा ही प्यार ही घूमता रहता है। ऐसे में सवाल आता है कि क्या प्यार में दिमाग डूबा रहता http://jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BEहै। क्या प्यार में आप किसी को अपना दिल दे चुके हैं? अगर हां, तो एक बात और गौर कीजिए। वैज्ञानिकों के मुताबिक प्यार में इंसान दिल ही नहीं, दिमाग भी दे बैठता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक प्यार में दिल की तरह दिमाग भी अहम भूमिका निभाता है। शोधकर्ताओं ने पूर्व में प्यार को समझने के लिए मस्तिष्क पर हुए शोधों का भी विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि किसी को चाहने के दौरान दिमाग के 12 क्षेत्र एक साथ काम कर
प्रमुख शोधकर्ता स्टेपहेनी आर्टीग्यू के मुताबिक किसी के प्यार में पड़ने में एक सेंकेंड का पांचवा हिस्सा लगता है। शोधकर्ताओं ने पाया http://jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BEजब कोई व्यक्ति किसी के प्यार में पड़ता है, तो मस्तिष्क के विभिन्न हिस्से कई रसायन जैसे ऑक्सीटोसिन (इन्हें 'लव हार्मोन' भी कहते हैं), एडरनालीन और वासोप्रैसिंग स्रावित करते हैं, जो आक्रामकता का कारण होते हैं। अन्य शोधों के मुताबिक रक्त में नर्व ग्रोथ फैक्टर नामक प्रोटीन मस्तिष्क की कोशिकाओं के रखरखाव और अस्तित्व के लिए जिम्मेदार होता है। शोधकर्ताओं की माने तो प्यार में अक्सर लोग दिल के साथ दिमाग भी दे देता है और हम समय अपने प्यार के बारे में ही सोच कर खोये रहते हैं।

Garbhavastha me Vyayam


 गर्भावस्था में व्यायाम का अभ्यास


गर्भावस्था  के दौरान अगर मां फिट रहेगी तो बच्चाक भी स्विस्थर रहेगा, इसके लिए जरूरी है गर्भावस्था  के दौरान व्याौयाम किया जाये। गर्भावस्थाि के दौरान प्रत्येहक महिला को सांस संबंधित व्याायाम जरूर करना चाहिए। यह बच्‍चे के पूर्ण विकास के लिए बहुत जरूरी है, क्योंहकि सांस के व्याायाम करने से बच्चे  को http://www.jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AEपर्याप्तर मात्रा में आक्सीतजन मिलती है और सांसों की बीमारियां भी नहीं होती हैं। इस लेख में जानिये कि गर्भावस्था  के दौरान सांसों के कौन-कौन से व्यारयाम करने चाहिए।
पेट से सांस लेना
पेट से सांस लेने को बैली ब्रीदिंग भी कहते हैं। इसे करने के लिए पैरों को मोड़कर आरामदायक मुद्रा में बैठिये, जबड़ों, कन्धों और नितम्बों समेत अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़ दीजिए। एक हाथ अपने पेट पर रखें और दूसरा इसके ऊपर। निचले हिस्से से गहरी सांस लीजिए और पेट को हवा से भरकर 8 या उससे अधिक गिनती गिनें। धीरे-धीरे सांसों को छोड़ें। इस व्याहयाम को रोज 10 मिनट तक करें। पेट अधिक बढ़ जाने पर घुटनों पर हाथ रखकर भी इसे कर सकती हैं।
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इसे करने के लिए सीधे खड़े हो जाइये और अपने पैर एक-दूसरे के सामानांतर रखिये। मुह बंद रखें और 10 तक गिनते हुए गहरी सांस लीजिए। हाथों को छाती पर रखें, लेकिन ध्यान रखें इन्हेंो जोर से दबायें नहीं। सांस लेते हुए फेफड़े फूलने के साथ ही अपने हाथों को फैलायें। फिर आराम से सांसों को छोड़ें, जितना समय सांस लेने में लगाया उतना ही सांस छोड़ने में लगायें। इस व्यायाम को 10 बार कीजिए। गर्भावस्थां के सातवें महीने में इसे करना मुश्किल हो सकता है। इसलिए इस वक्तछ इसे आराम से ही करें।
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इसे उथले सांस लेना कहते हैं, इसे कुछ मिनटों के लिए ही करना बेहतर है। इसे करने के लिए घुटनों को मोड़ते हुए पीछे की ओर झुकें और पैरों को सामानांतर रखते हुए सीधे खड़े हों जायें। इसके बाद अपना मुह पूरा खोलें और जल्दीऔ-जल्दीे सांसें लीजिए, यह फेफड़ों के लिए अच्छाी व्या याम है। दिन में कम से कम पांच मिनट के लिए यह व्यातयाम करें।
वैकल्पिक रूप से गहरी सांस लेना
इसे करने के लिए आरामयक स्थिति में बैठ जाएं या पैरों को मोड़कर बैठें या फिर पैरों को सीधा रखकर खड़े रहें। जबड़े, हाथ, घुटने, नितम्ब और कन्धों समेत पूरे शरीर को ढीला छोड़ दीजिए। इसके बाद गहरी सांस लें और कुछ सेकण्ड्स के लिए इस स्थिति में रहें। धीरे-धीरे इसे छोड़ें। फिर अपना मुंह चौड़ा खोलें और पांच तक गिनते हुए हवा अंदर खीचें।
गर्भावस्थार में व्याखयाम के साथ-साथ खानपान का विशेष ध्या न रखें और नियमिछत रूप से चिकित्स्क के पास जाकर जांच अवश्यस करायें।