Wednesday, 25 February 2015

Swine Flu Virus

स्वाईन फलू

 एच 1 एन 1 फलू का वायरस
1. संक्षिप्त वर्णन
स्वाईन फलू एक तरह का नया बीमारी है, जो कि साधारण सर्दी, खांसी और बुखार जैसे लक्षण देता है, लेकिन कभी कभार जानलेवा भी हो सकता है।
2.“नया बीमारी”
यह एक नये प्रकार के रोगाणु या वायरस के द्वारा फैल रहा है, जो कि सबसे पहले अप्रैल, 2009 में पहचाना गया। इसमें नयापन यह है कि इस वायरस का जीन (gene) में अनेक परिवर्तन हैं, जो कि पहले के वायरस में नहीं देखे गये हैं।
साधारण सर्दी, खांसी और बुखार सभी जानवरों और मनुष्यों में होता है। यह वायरस के कारण होता है, हो कि उनको संक्रमित करते हैं। इस वायरण के जीन में हमेशा परिवर्तन होते रहता है, जिस कारण से इसका इलाज करना मुश्किल होता है। साथ ही, इस वायरस का किसी जीव को संक्रमित करने का क्षमता बढ़ते रहता है।
बर्ड फलू (bird flu), उस वायरस को कहते हैं, जो केवल चिड़ियों में फैलता है, जैसे कि मुर्गी, बत्तख और अन्य पक्षी।
एवियन फलू (avian flu), उस वायरस को कहते हैं, जो किसी जंगली चिड़ियों में फैलता है। इसका एक प्रतिरूप को एच 5 एन 1 फलू वायरस (H5N1) कहते हैं, जो कि मनुष्यों में भी फैल सकता है। यह जानलेवा भी हो सकता है, और इसके विरुद्ध कोई टीका भी नहीं है।
स्वाईन फलू (swine flu), उस वायरस को कहते हैं, जो कि एच 1 एन 1 फलू वायरस (H5N1) है। यह सुअरों में, चिड़ियों और मनुष्यों में फैलता है। यह जानलेवा भी हो सकता है। स्वाईन फलू को “नया बीमारी” इसी कारण से कहते हैं क्योंकि इससे पहले कभी नहीं हुआ था कि फलू वायरस जानवर, चिड़िया और आदमी में एक साथ फैल रहा है।
3.  प्रकोप
11 जून 2009 को, वर्ल्ड हेल्थ ओरगनाईजेशन (world health organization) ने यह घोषित किया गया कि यह वायरस समूचे संसार में मनुष्यों में महामारी फैला रहा है। इसको पेंडेमिक (pandemic) कहा जाता है। अभी तक वैज्ञानिक, इसके विरुद्ध टीका पर काम कर रहे हैं।
4.  प्रसार
यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को फैल सकता है। यह किसी मरीज़ के छींकने से, खांसने से, हाथ न धोने से किसी दूसरे व्यक्ति को फैल सकता है। क्योंकि यह छूने से फैलता है, तो अगर आप किसी मरीज को छूते हैं या हाथ मिलाते हैं, और आप बगैर हाथ धोये, आप अपने मुंह या नाक को छूते हैं, तो आपको फलू हो सकता है।
अभी तक के रिसर्च के अनुसार, कोई मरीज़ बीमारी शुरू होने से 1 हफ्ता के बाद तक, किसी दूसरे व्यक्ति को फलू फैला सकता है।
फलू खाने से नहीं फैलता है। पोर्क (pork), सुअर के मीट को कहते हैं। स्वाईन फलू पोर्क या सुअर के मीट के खाने से नहीं फैलता है। यह ध्यान रहे कि कोई भी मीट अच्छे तरह से बना हुआ हो।
अभी तक के रिसर्च के अनुसार, सामान्य नल के पानी पीने से फलू नहीं फैलता है। ध्यान रहे कि सप्प्लाई पानी को पहले से क्लोरीन (chlorine) देकर साफ किया गया है।
5.  लक्षण
आपको किसी अन्य सर्दी के जैसा, इस बीमारी में भी बुखार, खांसी, छींकना, गले में खराश, गला दुखना, नज़ला, सिरदर्द, थकावट, ठंडा लगना और कमजोरी लग सकता है। कुछ लोगों को उल्टी और दस्त भी लग सकता है। कुछ लोगों का गंभीर बीमारी से मौत भी हो सकता है।
6.  संभावित मरीज
वैसे तो फलू किसी को हो सकता है, लेकिन कुछ लोगों को अति गंभीर बीमारी हो सकता है। वो लोग हैं -
  • बूढ़े लोगों में
  • 5 साल से कम उम्र के बच्चों में
  • गर्भवती महिला में
  • कोई भी व्यक्ति को जिसे कोई अन्य गंभीर बीमारी हो, जैसे कि आस्थमा, डायबिटीज़.
गर्भावस्था की योजना }o{ मनचाही संतान }o{ भ्रूण का विकास }o{ गर्भावस्था के लक्षण }o{ गर्भधारण के बाद सावधानियां }o{ गर्भावस्था में कामवासना }o{ गर्भावस्था के दौरान होने वाले अन्य बदलाव }o{ गर्भावस्था में स्त्री का वजन }o{ गर्भावस्था की प्रारिम्भक समस्या }o{ गर्भावस्था की तकलीफें और समाधान }o{ कुछ महत्वपूर्ण जांचे }o{ गर्भावस्था में भोजन }o{ गर्भावस्था में संतुलित भोजन }o{ गर्भावस्था में व्यायाम }o{ बच्चे का बढ़ना }o{ गर्भावस्था के अन्तिम भाग की समस्याएं }o{ प्रसव के लिए स्त्री को प्रेरित करना }o{ प्रसव प्रक्रिया में सावधानियां }o{ अचानक प्रसव होने की दशा में क्या करें }o{ समय से पहले बच्चे का जन्म }o{ प्रसव }o{ जन्म }o{ नवजात शिशु }o{ प्रसव के बाद स्त्रियों के शरीर में हमेशा के लिए बदलाव }o{ बच्चे के जन्म के बाद स्त्री के शरीर की समस्याएं }o{ स्त्रियों के शारीरिक अंगों की मालिश }o{ प्रसव के बाद व्यायाम }o{ नवजात शिशु का भोजन }o{ स्तनपान }o{ बच्चे को बोतल से दूध पिलाना }o{ शिशु के जीवन की क्रियाएं }o{ स्त्री और पुरुषों के लिए गर्भ से संबंधित औषधि }o{ परिवार नियोजन

Vegetarian food during pregnancy

प्रेग्नेंरसी के दौरान शाकाहारी आहार

गर्भावस्थां के दौरान महिलाएं पशु उत्पाद और अंडे के जरिए मल्टीविटामिन/खनिज जिन की जरूरत पूरी करती हैं। लेकिन, जो महिलाएं शाकहारी होती हैं, उनके लिए जरा मुश्किल होती है। शाकाहारी महिलाएं जो सभी पशु उत्पादों से बची रहती  है, को पोषक तत्वोंर के लिए 'विटामिन-बी12', 'कैल्शियम', 'जिंक' और 'विटामिन-डी' की आवश्यकता होती है। प्रेग्नें सी के दौरान शाकाहार भी मां और बच्चे को सभी जरूरी पोषक तत्त्वक मुहैया कराते हैं।
गर्भावस्था के दौरान शाकाहारी भोजन को बनाए रखने के लिए कई सकारात्मक पहलू हैं। उदाहरण के लिए प्रोटीन के शाकाहारी स्रोत किडनी के लिए आसान होते हैं। साथ ही एक शाकाहारी दांत क्षय रोकने में मदद करता हैं जोकि प्रेग्नेंहसी के दौरान एक आम समस्याज होती है। इसके अलावा, शाकाहारी भोजन, सामान्य रूप में, निम्न स्थितियों के खतरे को कम करता है: मोटापा, हाइप्रटेंशन, कब्ज, दिल की बीमारी, टाइप 2 मधुमेह, कैंसर.
गर्भावस्था

प्रेग्नेंदसी और शाकाहारी भोजन:
सभी गर्भवती महिलाओं को अतिरिक्त लोहा, कैल्शियम, फोलेट, (जो एक शाकाहारी के रूप में प्राप्त किया जा सकता है), जिंक, प्रोटीन के रूप में आवश्यक फैटी एसिड और 200 से 300 कैलोरी पूर्व गर्भावस्था से अधिक की आवश्यकता होती है। विशेष रूप से, शाकाहारी गर्भवती को निम्नलिखित उपभोग करना चाहिए।
1. अलग-अलग तरह के ढे़र सारे फल और सब्जियां, जिससे शरीर के लिए आवश्यक सभी विटामिन मिल सकें। इनमें मौजूद विटामिन और फाइबर अत्यंत लाभप्रद हैं।
2. स्टार्च (ब्रेड, अनाजों, चावल औऱ आलू) बड़ी मात्रा में लें। रिफाइंड और परिरक्षित खाद्य पदार्थों में विटामिन और फाइबर का क्षय हो जाता है। इसलिए इनकी जगह साबुत अनाज और घर का बना ताजा भोजन लें।
3. अपने आहार में पर्याप्त प्रोटीन लेने के लिए प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ लेने चाहिए। और जो महिला शाकाहारी है उनके प्रोटीन की कमी पूरी करने के लिए ब्राउन राइस, बीन्स, बीज, मूंगफली का मक्खन और सोया उत्पाद जैसे खाद्य पदार्थ शामिल हैं। डेयरी उत्पादों अपने विशेष आहार में शामिल करे, जो प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत हैं और कैल्शियम का भी अच्छा स्रोत है।
4. अपने शरीर को गर्भावस्था के लिए तैयार करने और शिशु की वृद्धि के लिए लौह तत्वों की अत्यंत आवश्यकता होती है। स्त्रियों में एनीमिया अक्सर पाई जाने वाली समस्याओं में एक है और कई स्त्रियों में यह गर्भावस्था के दौरान पाया जाता है। इससे बचने के लिए लौह तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे-हरी पत्तेदार सब्जियां, अनाज और दालें अपने भोजन में प्रयोग करें।
5. अच्छी वसा जैसे-ओमेगा-3 की पर्याप्त मात्रा लें। यह नट, फ्लैक्स के बीज में मिलता है। शरीर के कार्यकलाप सुचारू रूप से चलाने के लिए वसा की कुछ मात्रा आवश्यक है।
6. फलों का ताजा रस पर्याप्त मात्रा में लें। फलों के ताजे रस को प्राथमिकता दें, इसमें अधिक पोषक तत्व होते हैं।

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