गर्भावस्था के 15वें सप्ताह में देखभाल के टिप्स
गर्भावस्था के दौरान ही नहीं बल्कि गर्भधारण की योजना से ही महिलाओं को एहतियात बरतने शुरू कर देने चाहिए, इससे वो तो स्वस्थ रहती हैं साथ ही उनका होने वाला बच्चा भी स्वस्थ और स्वस्थ रहता है। गर्भधारण के पहले सप्ताह से लेकर 40वें सप्ताह (सामान्यतया यह प्रसव का सबसे बेहतर समय होता है) तक महिला को विशेष ध्यान रखना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान तीन ट्राइमेस्टर्स होते हैं और 15वां सप्ताह दूसरे ट्राइमेस्टर में आता है। पहले ट्राइमेस्टर के मुकाबले दूसरे ट्राइमेस्टर में महिला को थोड़ी कम समस्या होती है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पहली तिमाही और तीसरी तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही शांत रहती है। इसमें सुबह की बीमारी या मार्निंग सिकनेस और थकान कम होती है। इस लेख में विस्तार से जानिये इस सप्ताह में देखभाल के टिप्स के बारे में।
वजन बढ़ना
गर्भावस्था के 15वें सप्ताह में शिशु का अधिक विकास हो जाता है, इसके कारण महिला को दर्द भी महसूस होने लगता है, पेट बढ़ना भी शुरू हो जाता है। महिला के वजन में करीब पांच पाउंड की वृद्धि हो जाती है। अगर आपका वजन इससे अधिक बढ़ गया है तो चिकित्सक से सलाह जरूरी है।
प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर
इस समय गर्भवती महिला की प्रतिरक्षा प्रणाली थोड़ी कमजोर हो जाती है, जिसके कारण उसे सर्दी और फ्लू का संक्रमण भी हो सकता है, ऐसे में फ्लू से बचने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए आप हमेशा हाइड्रेटेड रहें, शरीर में पानी की कमी न होने दें।
बच्चे का विकास
15वें हफ्ते में बच्चे की लंबाई लगभग चार इंच और वजन एक से पौने दो औंस के करीब होगा। बच्चा खाना निगलना शुरू कर देता है, और अच्छी बात यह है कि वह बाहर की आवाजों को भी सुन सकता है। पहली बार गर्भवती हाने वाली महिलाएं इस स्तर पर शिशु की हल्की-फुल्की हलचल महसूस कर सकती हैं। ऐसे में बच्चा गर्भाश्य में सक्रिय हो जाता है। बच्चे के पैर, हाथों के मुकाबले लंबे होते हैं। साथ ही शरीर भी सिर से ज्यादा बड़ा होता है। स्वाद ग्रंथियां विकसित हो रही होती हैं, हाथ और पैर के नाखून भी बढ़ने लगते हैं।
हल्के गरम पानी से नहायें
इस दौरान महिला के शरीर में दर्द की शिकायत होने लगती है। कुछ महिलाओं के वजन में तो 40 से 50 पाउंड तक का इजाफा तक हो सकता है। पेट में खिंचाव महसूस हो सकता है। गर्भाश्य का विस्तार होगा और ऐंठन भी होता है। शरीर में दर्द महसूस होने पर गर्म पानी से स्नान करने से दर्द में कमी होगी।
ढीले कपड़े पहनें
इस समय महिला के शरीर में संक्रमण की भी आशंका बढ़ जाती है। इसलिए कुछ सामान्य जीवाणु संक्रमण से सावधान रहना चाहिए। कई बार देखने में आता है कि कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान संक्रमण हो जाता है। किसी भी प्रकार के संक्रमण का लक्षण लगने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श करें। संक्रमण को रोकने के लिए साफ और ढीले-ढाले कपड़े पहने। स्विमिंग पूल या गर्म टब बाथ में ज्यादा समय गुजारने से बचें। इत्र और बॉडी स्प्रे का भी इस्तेमाल कम करें।
सोते वक्त ध्यान दें
इस समय तक बच्चे का विकास तेजी से हो रहा होता है, इसलिए महिला को सोते वक्त भी ध्यान देना चाहिए। हालांकि अभी आपका पेट कम है, लेकिन समय के साथ यह और बढ़ेगा। पेट कम रहने तक आप कमर के बल सो सकती हैं, लेकिन बाद में आपके लिए करवट लेकर सोना ही फायदेमंद रहेगा। पीठ पर सोने से गर्भाश्य के कारण दिल पर और बच्चे को रक्त की आपूर्ति करने वाली इनफिरियर वेन पर दबाव बढ़ सकता है। यदि आप करवट लेकर सोती हैं तो इस तरह की समस्या कम होगी। पैरों को ऊपर उठाने के लिए अपने घुटनों के बीच में एक तकिया रख कर सोने की कोशिश करें।
खानपान पर ध्यान दें
गर्भधारण करने से पहले ही महिला को खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए, फोलिक एसिड की अतिरिक्त गोलियों के साथ प्रोटीनयुक्त डायट का सेवन करना चाहिए। 15वे सप्ताह तक महिला के डायट चार्ट में भरपूर मात्रा में विटामिन और प्रोटीन युक्त आहार की सूची होनी चाहिए।
सामान्य प्रसव के लिए महिला को खानपान पर विशेष ध्यान देने के साथ नियमित रूप से चिकित्सक से परामर्श लेने की जरूरत होती है।
गर्भावस्था के दौरान ही नहीं बल्कि गर्भधारण की योजना से ही महिलाओं को एहतियात बरतने शुरू कर देने चाहिए, इससे वो तो स्वस्थ रहती हैं साथ ही उनका होने वाला बच्चा भी स्वस्थ और स्वस्थ रहता है। गर्भधारण के पहले सप्ताह से लेकर 40वें सप्ताह (सामान्यतया यह प्रसव का सबसे बेहतर समय होता है) तक महिला को विशेष ध्यान रखना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान तीन ट्राइमेस्टर्स होते हैं और 15वां सप्ताह दूसरे ट्राइमेस्टर में आता है। पहले ट्राइमेस्टर के मुकाबले दूसरे ट्राइमेस्टर में महिला को थोड़ी कम समस्या होती है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पहली तिमाही और तीसरी तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही शांत रहती है। इसमें सुबह की बीमारी या मार्निंग सिकनेस और थकान कम होती है। इस लेख में विस्तार से जानिये इस सप्ताह में देखभाल के टिप्स के बारे में।
वजन बढ़ना
गर्भावस्था के 15वें सप्ताह में शिशु का अधिक विकास हो जाता है, इसके कारण महिला को दर्द भी महसूस होने लगता है, पेट बढ़ना भी शुरू हो जाता है। महिला के वजन में करीब पांच पाउंड की वृद्धि हो जाती है। अगर आपका वजन इससे अधिक बढ़ गया है तो चिकित्सक से सलाह जरूरी है।
प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर
इस समय गर्भवती महिला की प्रतिरक्षा प्रणाली थोड़ी कमजोर हो जाती है, जिसके कारण उसे सर्दी और फ्लू का संक्रमण भी हो सकता है, ऐसे में फ्लू से बचने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए आप हमेशा हाइड्रेटेड रहें, शरीर में पानी की कमी न होने दें।
बच्चे का विकास
15वें हफ्ते में बच्चे की लंबाई लगभग चार इंच और वजन एक से पौने दो औंस के करीब होगा। बच्चा खाना निगलना शुरू कर देता है, और अच्छी बात यह है कि वह बाहर की आवाजों को भी सुन सकता है। पहली बार गर्भवती हाने वाली महिलाएं इस स्तर पर शिशु की हल्की-फुल्की हलचल महसूस कर सकती हैं। ऐसे में बच्चा गर्भाश्य में सक्रिय हो जाता है। बच्चे के पैर, हाथों के मुकाबले लंबे होते हैं। साथ ही शरीर भी सिर से ज्यादा बड़ा होता है। स्वाद ग्रंथियां विकसित हो रही होती हैं, हाथ और पैर के नाखून भी बढ़ने लगते हैं।
हल्के गरम पानी से नहायें
इस दौरान महिला के शरीर में दर्द की शिकायत होने लगती है। कुछ महिलाओं के वजन में तो 40 से 50 पाउंड तक का इजाफा तक हो सकता है। पेट में खिंचाव महसूस हो सकता है। गर्भाश्य का विस्तार होगा और ऐंठन भी होता है। शरीर में दर्द महसूस होने पर गर्म पानी से स्नान करने से दर्द में कमी होगी।
ढीले कपड़े पहनें
इस समय महिला के शरीर में संक्रमण की भी आशंका बढ़ जाती है। इसलिए कुछ सामान्य जीवाणु संक्रमण से सावधान रहना चाहिए। कई बार देखने में आता है कि कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान संक्रमण हो जाता है। किसी भी प्रकार के संक्रमण का लक्षण लगने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श करें। संक्रमण को रोकने के लिए साफ और ढीले-ढाले कपड़े पहने। स्विमिंग पूल या गर्म टब बाथ में ज्यादा समय गुजारने से बचें। इत्र और बॉडी स्प्रे का भी इस्तेमाल कम करें।
सोते वक्त ध्यान दें
इस समय तक बच्चे का विकास तेजी से हो रहा होता है, इसलिए महिला को सोते वक्त भी ध्यान देना चाहिए। हालांकि अभी आपका पेट कम है, लेकिन समय के साथ यह और बढ़ेगा। पेट कम रहने तक आप कमर के बल सो सकती हैं, लेकिन बाद में आपके लिए करवट लेकर सोना ही फायदेमंद रहेगा। पीठ पर सोने से गर्भाश्य के कारण दिल पर और बच्चे को रक्त की आपूर्ति करने वाली इनफिरियर वेन पर दबाव बढ़ सकता है। यदि आप करवट लेकर सोती हैं तो इस तरह की समस्या कम होगी। पैरों को ऊपर उठाने के लिए अपने घुटनों के बीच में एक तकिया रख कर सोने की कोशिश करें।
खानपान पर ध्यान दें
गर्भधारण करने से पहले ही महिला को खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए, फोलिक एसिड की अतिरिक्त गोलियों के साथ प्रोटीनयुक्त डायट का सेवन करना चाहिए। 15वे सप्ताह तक महिला के डायट चार्ट में भरपूर मात्रा में विटामिन और प्रोटीन युक्त आहार की सूची होनी चाहिए।
सामान्य प्रसव के लिए महिला को खानपान पर विशेष ध्यान देने के साथ नियमित रूप से चिकित्सक से परामर्श लेने की जरूरत होती है।
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