Monday, 2 March 2015

Pregnancy calender- Know your infantile growth

प्रेग्नेंसी कैलेंडर से जाने बच्चे का विकास का हाल

गर्भधारण के बाद बच्चे का विकास होना शुरू हो जाता है। गर्भावस्था कैलेंडर के द्वारा इसकी जानकारी की जा सकती है। गर्भधारण के प्रोसेस में स्त्री के अंडाणु और पुरूष के शुक्राणुओं के मिलने से बच्चे की उत्पति होती है।
गर्भावस्था के दौरान बच्चे का विकास नौ महीने तक विभिन्न चरणों में होता है। बच्चे का विकास सप्ताह दर सप्ताह होते-होते, महीनों और फिर ट्राईमेस्टर में बदल जाता है। गर्भावस्था कैलेंडर के द्वारा गर्भवती स्त्री में बच्चे का विकास कितना हुआ है ये जान सकते है या होने वाले बच्चे को कितना समय लगेगा। आमतौर पर प्रेग्नेंसी कैलेंडर में नौ महिने तय किए गए हैं, लेकिन आपातकालीन स्थिति में ये कैलेंडर आठ महीने या दस महीने का भी हो सकता है।
प्रेग्नेंसी कैलेंडर द्वारा स्त्री यह जान सकती हैं कि होने वाला बच्चे नॉर्मल है या नहीं। गर्भावस्था कैलेंडर के माध्यम से ही भ्रूण के विकास और आने वाली स्थितियों का अंदाजा रहता है। कई बार इस कैलेंडर की बदौलत गर्भवती अपनी डिलीवरी तिथि के बारे में भी जान सकती है। पहले ट्राईमेस्टर में एक से तीन महीने, दूसरे ट्राईमेस्टर में चार से छह महीने और तीसरे ट्राईमेस्टर में सात से नौ महीने होते हैं।
गर्भावस्था की योजना }o{ मनचाही संतान }o{ भ्रूण का विकास }o{ गर्भावस्था के लक्षण }o{ गर्भधारण के बाद सावधानियां }o{ गर्भावस्था में कामवासना }o{ गर्भावस्था के दौरान होने वाले अन्य बदलाव }o{ गर्भावस्था में स्त्री का वजन }o{ गर्भावस्था की प्रारिम्भक समस्या }o{ गर्भावस्था की तकलीफें और समाधान }o{ कुछ महत्वपूर्ण जांचे }o{ गर्भावस्था में भोजन }o{ गर्भावस्था में संतुलित भोजन }o{ गर्भावस्था में व्यायाम }o{ बच्चे का बढ़ना }o{ गर्भावस्था के अन्तिम भाग की समस्याएं }o{ प्रसव के लिए स्त्री को प्रेरित करना }o{ प्रसव प्रक्रिया में सावधानियां }o{ अचानक प्रसव होने की दशा में क्या करें }o{ समय से पहले बच्चे का जन्म }o{ प्रसव }o{ जन्म }o{ नवजात शिशु }o{ प्रसव के बाद स्त्रियों के शरीर में हमेशा के लिए बदलाव }o{ बच्चे के जन्म के बाद स्त्री के शरीर की समस्याएं }o{ स्त्रियों के शारीरिक अंगों की मालिश }o{ प्रसव के बाद व्यायाम }o{ नवजात शिशु का भोजन }o{ स्तनपान }o{ बच्चे को बोतल से दूध पिलाना }o{ शिशु के जीवन की क्रियाएं }o{ स्त्री और पुरुषों के लिए गर्भ से संबंधित औषधि }o{ परिवार नियोजन

भ्रूण का अलग-अलग महीनों में विकास के लिए प्रेग्नेंली कैलेंडर दिए जा रहे हैं-
पहला महीना
http://jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%AD%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%82%E0%A4%A3-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%AC%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B8गर्भधारण के पहले महीने में आमतौर पर सेहत संबंधी समस्याएं अधिक नहीं होती। इस महीने में स्त्री को मासिकधर्म आने बंद हो जाते हैं और स्त्री को बार-बार वाशरूम के चक्कर लगाना पड़ जाता है। त्वचा का रंग भी बदल सकता है, ऐसे में भारी सामान उठाने से परहेज करना चाहिए।
दूसरा महीना
यह थोड़ा जटिल समय होता है, इस महीने में बच्चे के हृदय का विकास होता है और इसलिए इसमें सावधानी आवश्यक है। दूसरे महीने के बाद अल्ट्रा साउंड के सहारे यह बताना आसान हो जाता है कि बच्चे का सिर किस तरफ है और पैर किस तरफ है।
तीसरा महीना
तीसरे महीने में बच्चे की हड्डियों के साथ ही कान और बाहरी अंगों का निर्माण होता है। इस समय बच्चे का सिर शरीर का सबसे बड़ा भाग होता है।
चौथा महीना
चौथे महीने में हार्मोन का निर्माण होने लगता है और बच्चा के शरीर से एमनियोटिक द्रव भी निकलने लगता है। इस समय बच्चे का वजन लगभगग 85 ग्राम तक होता है।
पांचवा महीना
पांचवे महीने में बच्चे  की लंबाई लगभग 25 सेंटीमीटर होती है। ऐसे में होने वाले बच्चे की गति को महसूस किया जा सकता है। हालांकि इस महीने में बच्चें के नए अंग नहीं बनते, लेकिन बच्चे के हाथों और पैरों के पैड और उंगलियों का विकास होता है।
छठा महीना
कुछ बच्चों का जन्मि 6 महीनों पर ही हो जाता है। ऐसे बच्चों को प्रीमैच्योर बेबी कहा जाता है। इस समय बच्चे के शरीर में ब्राउन वसा बननी शुरू हो जाती है, जिससे बच्चे के शरीर का ताप नियंत्रित रहता है।
सातवां महीना
http://jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%AD%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%82%E0%A4%A3-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%AC%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B8बच्चें की किक महसूस करने का समय आ गया है। गर्भवती स्त्री की नींद पर भी असर पड़ सकता है। होने वाला बच्चे आपके पाचन तंत्र को और आपकी सांसों की गति को महसूस कर सकता है। कुछ बच्चे  इस समय भी पैदा हो जाते हैं, लेकिन उन्हें  विशेष देखभाल की आवश्यहकता होती है।
आठवां महीना
इस महिने में बच्चे, अब किसी भी समय इस नई दुनिया में प्रवेश कर सकता है। लेकिन, वो जितना समय आपके गर्भ में बिताएगा बच्चे के स्वास्थ  के लिए यह उतना ही अच्छा होता है। इस महिने में बच्चे का पूरा विकास हो चुका होता है।
नवां यानी अंमित महीना
चि‍कित्सहक ने शायद आपको प्रसव का दिन बता दिया हो। आपका शिशु कभी भी दुनिया में कदम रख सकता है। यह खुशी के साथ ही खतरों का भी समय है, इस समय अपने अनुभवों को महसूस करना बेहद जरूरी है। बच्चेक का वजन अब 7 पाउंड तक हो सकता है।
अधिकतर बच्चे चिकित्स के बताए गए समय से पहले ही पैदा हो जाते हैं। ऐसे में आपको सर्जरी व प्राकृतिक रूप से होने वाले प्रसव की भी जानकारी होनी चाहिए। हो सके तो घर के बाहर कम निकलें और देख-रेख के लिए हर समय आपके पास कोई ना कोई होना चाहिए।
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8 main benefits of exercise in pregnancy

गर्भावस्था में व्यांयाम के 8 मुख्यो लाभ
गर्भावस्थाह के दिनों में शरीर में कई बदलाव होते हैं। लेकिन अगर आप लगातार व्यापयाम करती हैं तो इन प्रभावों को कम किया जा सकता है। गर्भावस्थार के लिए विशेष व्यायाम होते हैं जो आपको हमेशा फिट और हेल्दी  रखते हैं। इन एक्सिरसाइज के निम्न्लिखित लाभ होते हैं:
1. थकान से मुक्ति: गर्भावस्था  के दिनों में थकान काफी ज्याहदा रहती है। शुरूआत के तीन महीने बहुत ज्याादा थकान महसूस होती है। ऐसे में अगर आप नियमित रूप से डॉक्टभरी सलाह को मानकर एक्सतरसाइज करें, तो आपको काफी लाभ होगा। वॉक करने से भी आपको इस दौरान काफी लाभ मिलेगा।
2. गर्भावस्थात के दौरान अच्छी  नींद दिलाएं: गर्भावस्था  के दौरान व्यामयाम करने से गर्भवती स्त्री  को नींद अच्छीह आती है। नींद का न आना और उनींदे रहने की समस्यां दूर हो जाएगी। अच्छीस नींद से आने शरीर की आकी समस्याकएं भी दूर हो जाती हैं। गर्भावस्था  में व्या याम के 8 मुख्या लाभ
3. कब्जम दूर भगाएं: गर्भावस्थार के दौरान कई महिलाओं को कब्जइ की समस्याै हो जाती है। इसके लिए जरूरी है कि आप हर दिन 30 मिनट वॉक करें। वॉक करने से पाचन क्रिया में इज़ाफा होता है और कब्ज् की समस्या  से राहत मिलती है। गर्भवती महिलाओं के लिये सांस से सम्बंधित 4 व्यायाम
4. प्रेग्नेंससी बैक एक्स रसाइज करें: गर्भवती महिलाओं को अक्स र पीठ और कमर में दर्द की शिकायत रहती है। इसके लिए जरूरी होता है कि वो बैक एक्सीरसाइज करें। ऐसी एक्सEरसाइज को डॉक्टलर की सलाह के आधार पर ही करना चाहिए। आप चाहें तो शॉर्ट वॉक भी कर सकती हैं।
5. चिंता न करें, हमेशा खुश रहें: गर्भावस्थार के दौरान आप किसी भी प्रकार की चिंता न करें, खुश रहने की कोशिश करेें। लेकिन ऐसा कई बार नहीं हो पाता है इसलिए एक्स रसाइज करना जरूरी होता है। एक्स रसाइज करने से ब्रेन से एंडोमॉर्फिन नामक हारमोन निकलता है जो आपका मूड स्वींग होने से बचाता है, आपकी चिंता और तनाव को दूर करने में मदद करता है।
6. हेल्दीज बच्चाज: व्या याम करने से आपके शरीर में रक्तह का संचार अच्छा, होता है, ताजी हवा आपके फेफड़ों तक पहुंचती है, इससे आपके शरीर को और होने वाले बच्चेस को काफी लाभ होता है।  शिशु को मालिश की कोई जरुरत नहीं, बोलते हैं डॉक्ट्र्स
7. डायबटीज से बचाव: गर्भावस्थाक के दौरान कई बार डायबटीज हो जाती है, एक्स,रसाइज से इस पर काबू पाया जा सकता है। गर्भावस्थाे के दौरान होने वाली डायबटीज घातक नहीं होती है, लेकिन इसके होने से सर्जरी होने में समस्याप आ सकती है, इस डायबटीज को गेस्से शनल डायबटीज कहा जाता है।
8. प्रसव असहनीय नहीं होता: व्यायाम करने से शरीर फिट रहता है और प्रसव के दौरान भी कम समस्याय होती है। अगर आप नियमित एक्सकरसाइज करती रहें तो कम प्रसव पीड़ा होती है। इस तरह एक्स रसाइज आपको गर्भावस्था के दौरान भी फिट रखती है।
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Pregnancy diet chart, proteins, calcium

गर्भावस्था के दौरान आहार में कौन से चीजे लेना चहिए और कितनी मात्रा में लेना चाहिए इसकि अधिक जानकारी निचे दि गयीं है।

1. प्रोटीन (Proteins)
  1. गर्भवती महिला को आहार मे प्रतिदिन 60 से 70 ग्राम Proteins मिलना चाहिए।
  2. गर्भवती महिला के गर्भाशय, स्तनों तथा गर्भ के विकास ओर वृद्धि के लिये Proteins एक महत्वपूर्ण तत्व है।
  3. अंतिम 6 महीनो के दौरान करीब 1 किलोग्राम Proteins की आवश्यकता होती है।
  4. Protein युक्त आहार मे दूध और दुध से बने व्यंजन, मूंगफली, पनीर, चिज़, काजू, बदाम, दलहन, मांस, मछली, अंडे आदि का समावेश होता है।    
2. कैल्शियम (Calcium)
  1. गर्भवती महिला को आहार मे प्रतिदिन 1500 -1600 मिलीग्राम Calcium मिलना चाहिए।
  2. गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु की स्वस्थ और मजबूत हड्डियों के लिये इस तत्व कि आवश्यकता रहती है।
  3. Calcium युक्त आहार में दूध और दूध से बने व्यंजन, दलहन, मक्खन, चीज, मेथी, बीट, अंजीर, अंगूर, तरबूज, तिल, उड़द, बाजऱा, मांस आदि का समावेश होता है।
3. फोलिक एसिड (Folic Acid)
  1. पहली तिमाही वाली महिलाओं को प्रतिदिन 4 mg Folic Acid लेंने की आवश्यकता होती है। दूसरी और तीसरी तिमाही मे 6 mg Folic Acid लेंने की आवश्यकता होती है।
  2. पर्याप्त मात्रा में Folic Acid लेने से जन्मदोष और गर्भपात होने का खतरा कम हो जाता है। इस तत्व के सेवन से उलटी पर रोक लग जाती है।
  3. आपको Folic Acid का सेवन तब से कर लेना चाहिए जब से आपने माँ बनने का मन बना लिया हो।
  4. Folic Acid युक्त आहार मे दाल, राजमा, पालक, मटर, मक्का, हरी सरसो, भिंड़ी, सोयाबीन, काबुली चना, स्ट्रॉबेरी, केला, अननस, संतरा, दलीया, साबुत अनाज का आटा, आटे कि ब्रेड आदि का समावेश होता है। 
4. पानी (Water)
  1. गर्भवती महिला हो या कोई भी व्यक्ति, पानी हमारे शरीर के लिये बहुत महत्वपुर्ण है। गर्भवती महिलाओ को अपने शरीर कि बढ़ती हुईं आवश्यकताओं को पुरा करने के लिये प्रतिदिल कम से कम 3 लीटर (10 से 12 ग्लास) पानी जरुर पीना चाहिए। गर्मी के मौसम में 2 ग्लास अतिरिक्त पानी पीना चाहिए। 
  2. हमेशा ध्यान रखे कि आप साफ़ और सुरक्षीत पानी पी रहे है। बाहर जाते समय अपना साफ़ पानी साथ रखे या अच्छा बोतलबंद पानी का उपयोग करे। 
  3. पानी की हर बूंद आपकी गर्भावस्था को स्वस्थ और सुरक्षित बनाने मे सहायक है।
5.  विटामिन (Vitamins)
  1. सगर्भावस्था के दौरान Vitamins कि जरुरत बढ़ जाती है।
  2. आहार ऐसा होना चाहिए कि जो अधिकधिक मात्रा मे calories तथा उचित मात्रा में Proteins के साथ Vitamins कि जरुरत कि पूर्ति कर सके।
  3. हरी सब्जियां, दलहन, दूध आदि से Vitamin उपलब्ध हो जाते है।
6. आयोडीन (Iodine)
  1. गर्भवती महिलाओ  के लिये प्रतिदिन 200-220 माइक्रोग्राम Iodine कि आवश्यकता होती है।
  2. Iodine आपके शिशु के दिमाग के विकास  के लिये आवश्यक है। इस तत्व की कमी से बच्चे मे मानसिक रोग, वजन बढ़ना और महिलाओ मे गर्भपात जेसी अन्य खामिया उत्पन्न होती है।  
  3. गर्भवती महिलाओ को अपने डॉक्टर कि सलाह अनुसार Thyroid Profile जॉंच कराना चाहिए।
  4. Iodine के प्राकृतिक स्त्रोत्र है अनाज, दालें, ढूध, अंड़े, मांस। Iodine युक्त नमक अपने आहार मे Iodine शामिल करने का सबसे आसान और सरल उपाय है। 
 7.  झींक (Zinc)
  1. गर्भवती महिलाओ  के लिये प्रतिदिन 15 से 20 मिलीग्राम Zinc कि आवश्यकता होती है।
  2. इस तत्व कि कमी से भूख नहि लगतीं, शारीरिक विकास अवरुद्ध हो जात्ता है, त्वचा रोग होते है।
  3. पर्याप्त मात्रा में शरीर को Zinc कि पूर्ति करने के लिए हरी सब्जिया और Multi-Vitamin supplements ले सकते है।
गर्भावस्था की योजना }o{ मनचाही संतान }o{ भ्रूण का विकास }o{ गर्भावस्था के लक्षण }o{ गर्भधारण के बाद सावधानियां }o{ गर्भावस्था में कामवासना }o{ गर्भावस्था के दौरान होने वाले अन्य बदलाव }o{ गर्भावस्था में स्त्री का वजन }o{ गर्भावस्था की प्रारिम्भक समस्या }o{ गर्भावस्था की तकलीफें और समाधान }o{ कुछ महत्वपूर्ण जांचे }o{ गर्भावस्था में भोजन }o{ गर्भावस्था में संतुलित भोजन }o{ गर्भावस्था में व्यायाम }o{ बच्चे का बढ़ना }o{ गर्भावस्था के अन्तिम भाग की समस्याएं }o{ प्रसव के लिए स्त्री को प्रेरित करना }o{ प्रसव प्रक्रिया में सावधानियां }o{ अचानक प्रसव होने की दशा में क्या करें }o{ समय से पहले बच्चे का जन्म }o{ प्रसव }o{ जन्म }o{ नवजात शिशु }o{ प्रसव के बाद स्त्रियों के शरीर में हमेशा के लिए बदलाव }o{ बच्चे के जन्म के बाद स्त्री के शरीर की समस्याएं }o{ स्त्रियों के शारीरिक अंगों की मालिश }o{ प्रसव के बाद व्यायाम }o{ नवजात शिशु का भोजन }o{ स्तनपान }o{ बच्चे को बोतल से दूध पिलाना }o{ शिशु के जीवन की क्रियाएं }o{ स्त्री और पुरुषों के लिए गर्भ से संबंधित औषधि }o{ परिवार नियोजन