Saturday, 21 March 2015

खतरनाक हो सकती है गर्भावस्था में रक्तचाप की समस्या


गर्भावस्था के दौरान रक्तचाप की बीमारी स्त्रीओं के लिए कई बार खतरनाक साबित हो सकती है। स्त्रीओं में गर्भावस्था के दौरान अवसाद के कारण भी रक्तचाप की शिकायत हो सकती है, जो भविष्य में दिल की बीमारी का खतरा उत्पन्न कर सकता है।
आम तौर पर माना जाता है कि गर्भावस्था में स्त्रीओं में उच्च रक्तचाप अगर मां बनने के बाद ठीक हो जाए तो इसका कोई दीर्घकालिक प्रभाव नहीं होता है। गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप से पीड़ित स्त्रीओं में इस
http://www.jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%A4-%E0%A4%AD%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%A8अवधि में सामान्य रक्तचाप वाली स्त्रीओं की तुलना में भविष्य में हृदयरोग से संबंधित बीमारी का खतरा 57 प्रतिशत ज्यादा होता है। गर्भावस्था की जटिलताओं में उच्च रक्तचाप एक सबसे बड़ा कारक है जो pregnant स्त्रियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और स्त्री एवं गर्भस्थर शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है।
यदि उच्च रक्तचाप की समस्या लंबे समय से हो तो यह दीर्घकालिक उच्च रक्तचाप या क्रॉनिक हाइपरटेंशन कहलाता है। यदि उच्च रक्तचाप गर्भधारण करने के 20 सप्ताह बाद, प्रसव में या प्रसव के 48 घंटे के भीतर होता है तो यह प्रेग्नेंसी इंड्यूस्ड2 हाईपरटेंशन कहलाता है। अगर रक्तचाप 140/90 या इससे अधिक है तो स्थिति गंभीर हो सकती है। मरीज एक्लेम्पशिया यानी गर्भावस्था की एक किस्म की जटिलता में पहुँच जाता है जिससे उसे झटके आने शुरू हो जाते हैं।
स्त्रियों में गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप की समस्या बहुत देखी जाती है। गर्भ के विकास के साथ उच्च रक्तचाप की स्थिति अधिक बढ़ती है। गर्भावस्था के भोजन में पौष्टिक खाद्य पदार्थों के अभाव में स्त्रीएं रक्ताल्पता की शिकार होती हैं। रक्ताल्पता से गर्भस्थ शिशु का विकास रुक जाता है। pregnant स्त्री को बहुत हानि पहुंचती है। गर्भस्राव की आशंका बनी रहती है।
गर्भावस्था के दौरान कई कारणों से ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है, जो मां और गर्भस्थ शिशु के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। यदि ब्लडप्रेशर 130/90 की सीमा से ऊपर है तो यह उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर कहलाता है।

कारण-
1.    Pregnant स्त्री में उच्च रक्तचाप की शिकायत गर्भावस्था के चलते उत्पन्न होती है।
2.    कुछ स्त्रीओं में हाई ब्लडप्रेशर की शिकायत गर्भावस्था के पहले से ही होती है।
3.    कई बार गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप की शिकायत किडनी से संबंधित बीमारी, मोटापा, चिंता और मधुमेह आदि के कारण होती है।
थोड़ा बहुत हाई ब्लडप्रेशर कुछ देर आराम करने से और बायीं करवट लेटने से कम हो जाता है, किंतु यदि ब्लडप्रेशर के साथ सिरदर्द, मतली, उल्टी, आंख से धुंधला दिखना, पैरों में सूजन और सांस फूलना आदि में से कोई समस्या हो तो बात गंभीर हो जाती है।
सतर्कता एवं उपचार -
1. यदि कोई स्त्री गर्भावस्था से पूर्व ही हाई रक्तचाप से ग्रस्त है, तो उसे हृदय रोग विशेषज्ञ और स्त्री रोग विशेषज्ञ दोनों की से सलाह लेनी चाहिए। प्रसव भी इन दोनों की देखरेख में हो तो खतरे कम रहेगे।
2. भोजन में नमक कम लें। लो सोडियम साल्ट जैसे सेंधा नमक का उपयोग कर सकती है।
3. मलाईदार दूध, मक्खन, घी, तेल, मांसाहार से परहेज करना चहिए।
4. Pregnant स्त्रीओं को पॉली अनसैचुरेटेड तेल जैसे सूरजमुखी के तेल का प्रयोग करना चाहिए।
5. लहसुन और ताजे अदरक के सेवन से रक्त के थक्के नहीं जमते है और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित होता है।
6. गर्भावस्था के दौरान यदि उच्च रक्तचाप निम्न रक्तचाप की समस्या हो जाए तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें और उनके कहे अनुसार मेडिसन लें।

Pregnancy में खानपान की अतिरिक्त जरूरत की पूर्ति के लिए लीजिए पौष्टिक आहार

Pregnant होने के साथ ही खान-पान पर सबसे ज्यावदा ध्याजन देने की जरूरत होती है। क्यों कि खान-पान पर ही मां और होने वाले शिशु का स्वाीस्य्न   निर्भर करता है। यदि खाने में जरूरी पोषक तत्वों  की कमी होगी तो कई प्रकार की जटिलतायें हो सकती हैं।
प्रेग्नेंवट होने के बाद आप खा-पान पर ध्यातन देती हैं, लेकिन क्याख आपको पता है इस दौरान किस आहार के सेवन से आपको जरूरी पोषण मिलेगा और कौन सा आहार खाने से नुकसान होगा। जैसे pregnant स्त्रीओं को पपीता न खाने की विशेष हिदायत दी जाती है। आइए हम आपकेा बताते हैं कि इस दौरान क्यात खायें और क्या  न खायें।
http://www.jkhealthworld.com/hindi/गर्भावस्था-में-संतुलित-भोजन Pregnancy के दौरान क्याी खायेंPregnant होने के बाद एक बार में खाने की बजाय भोजन को छोटे-छोटे भागों में बांटें और धीरे-धीरे लें। इस प्रकार भोजन करना आपके लिए भार भी नहीं लगेगा औऱ आपके एवं आपके बच्चे की पोषण जरूरतें भी पूरी होती रहेगीं। दे सकता है।
अपनी हड्डियों को स्वस्थ रखने औऱ शरीर में कैल्शियम के बेहतर अवशोषण के लिए विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा का सेवन करें। आप चाहें तो विटामिन डी के सप्लीमेंट ले सकती हैं या फिर जब धूप अधिक तेज नहीं हो तो इसका सेवन करें। धूप का सेवन आपके बच्चे को भी अच्छा लगेगा।
सुनिश्चित करें कि सभी फल और सब्जियां अच्छी तरह से पकाई गई हैं, खाने से पहले भोजन को गर्म कर लें, ताकि फूड पॉइजनिंग की संभावना नहीं रहे। बासी भोजन बिलकुल न खायें।
विटामिन बी की कमी पूरी करने के लिए डेयरी उत्पांदों जैसे - दूध, दही, बटर, आदि का सेवन कीजिए।
http://www.jkhealthworld.com/hindi/गर्भावस्था-में-संतुलित-भोजनखाने में ताजी और रंगीन सब्जियों का प्रयोग कीजिए, ताजे फल भी खाइए। इसमें एंटी-ऑक्सीाडेंट होता है जो शरीर को बीमारियों से बचाता है।
साबुत अनाज का सेवन कीजिए, साबुत अनाज जैसे - ब्राउन राइस, दलिया आदि आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
विटामिन और कैल्सियम की कमी पूरा करने के लिए सोया मिल्कज और पनीर खाइए। इससे आपकी और शिशु की हड्डियां मजबूत होंगी।
विभिन्नु प्रकार की दालों का प्रयोग कीजिए, दालों में जिंक आयरन और प्रोटीन भरपूर मात्रा में मौजूद होता है, जो pregnancy के दौरान बहुत जरूरी है।
क्या नहीं करना चाहिए
गर्भावस्था के दौरान या पहले शराब ना पीएं क्योंकि यह ना सिर्फ प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है, बल्कि शिशु के विकास में भी अवरोधक है। अल्कोहल लेने से फीटल अल्कोहल सिंड्रोम का खतरा रहता है, जिसमें गर्भस्थ शिशु की वृद्धि औऱ मानसिक विकास प्रभावित होता है।
कैफीन को किसी भी रूप में इसकी सुरक्षित मात्रा (200 मिग्रा/दिन) से ज्यादा ना लें। कैफीन से गर्भपात औऱ कम वजन के बच्चे के जन्म का खतरा बढता है। इसे लेना पूरी तरह बंद करें या दिन में 200 मिग्रा से ज्यादा ना लें।
कच्चा, आधा पका या बिना पकाया हुआ भोजन ना करें, इससे फूड पॉइजनिंङ हो सकता है।
विटामिन ए की जरूरत से अधिक मात्रा ना लें, क्योंकि इससे शिशु में गंभीर समस्या हो सकती है। विटामिन ए के सप्लीमेंट और लीवर ना लें, क्योंकि इसमें बहुत ज्यादा मात्रा में विटामिन ए होता है।
धूम्रपान ना करें, क्योंकि यह भ्रूण के विकास में बाधा डालता है।
गर्भावस्था के दौरान वजन घटाने की कोशिश ना करें। अगर आपका वजन अधिक है तो डाइटिंग करके इसे घटाने की कोशिश गर्भधारण से पहले ही करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान वजन घटाने की कोशिश से आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है।
इससे आपके शिशु को नुकसान पहुंच सकता है, जिसका परिणाम कम वजन के बच्चे का जन्मा या नवजात में पोषक तत्वों की कमी के रूप में सामने आ सकता है।

गर्भावस्था में ज्यादा बेड-रेस्ट नुकसानदायक

आमतौर पर स्त्रीएं अपने प्रेंगनेंट होने की खबर सुनने के बाद ज्यादा से ज्यादा आराम यानी बेड रेस्ट करने लगती है। उन्हें लगता है कि इस समय उन्हें आराम करना चाहिए इसीलिए स्त्रीएं कामकाज और यहां तक कि हल्के फुल्के शारीरिक व्यायाम भी करना छोड़ देती हैं जो कि गलत है। यह आप और आपके होने वाले बच्चे, दोनों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

गर्भावस्था में स्त्रीओं को ज्यादा क्रियाशील होना चाहिए। ज्यादा आराम करने वाली स्त्रीओं में देखा जाता है कि उनकी डिलवरी समय से पहले ही हो जाती है। इसलिए डॉक्टर भी स्त्रीओं को ऐसे समय में हल्के फुल्के व्यायाम की सलाह देते हैं।

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बहुत सी स्त्रीओं में यह भम्र फैला हुआ है कि गर्भावस्था में उन्हें बेड रेस्ट करना चाहिए या नहीं। घर में बड़े बुजुर्ग भी यही मानते हैं कि pregnant स्त्री को काम से ज्यादा आराम करना चाहिए। इससे गर्भावस्था में होने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है। लेकिन अब यह बात सिर्फ एक मिथ्य है। आजकल डॉक्टर स्त्रीओं को pregnancy में थोड़ा बहुत काम करने की सलाह देते हैं और साथ ही टहलने को भी कहते हैं क्योंकि इससे स्त्रीएं व बच्चा दोनों स्वस्थ्य रहते हैं।

बेड रेस्ट के खतरे
  • pregnant स्त्रीएं यदि बेड रेस्ट से बचें और हमेशा क्रियाशील रहें तो इससे समय से पहले बच्चे के पैदा होने की संभावना कम हो जाती है तथा इससे मां और बच्चे दोनों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
  • गर्भावस्था में बेड रेस्ट करने वाली pregnant स्त्रीओं में स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं पैदा हो जाती है। यह होने वाले  बच्चे के लिए भी खतरनाक है।
  • बेड रेस्ट करने से मांसपेशियों की कार्यक्षमता में कमी आती है जिससे हड्डियों को भी हानि पहुंचती है। इसके अलावा pregnant स्त्रीओं तथा उनसे  जन्म लेने वाले बच्चे का वजन भी घट जाता है।
  • pregnant स्त्रीएं ज्यादा बेड रेस्ट करने से थकान और ऊबाउपन महसूस करती हैं। उनके सोने का क्रम भी बिगड़ जाता है। साथ ही वे डिप्रेशन की शिकार भी हो सकती हैं।
  • pregnant स्त्रीओं के बेड रेस्ट करने से अपच तथा पीठ की दर्द की शिकायत रहती है।
  • स्त्रीओं के ज्यादा आराम करने से प्रसव के दौरान सिजेरियन की संभावना बढ़ जाती है।
  • ज्यादा बेड रेस्ट करने से स्त्रीओं में वजन बढ़ने की समस्या हो जाती है जिससे कई अन्य बीमारियां होने का खतरा रहता है जैसे मधुमेह, हृदय रोग, रक्तचाप आदि।
  • गर्भावस्था में हल्का व्यायाम काफी जरूरी होता है। इससे शरीर में फूर्ति बनी रहती है और डिलवरी के समय आसानी रहती है।