Friday, 27 March 2015

गर्मी के मौसम के लिए बेहद फायदेमंद है ये पेय पदार्थ

गर्मी के मौसम के लिए बेहद फायदेमंद है ये पे पदार्थ 

गर्मी की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में हमें ज्यादा से ज्यादा पेय पदार्थो का सेवन करना चाहिए क्योंकि गर्मी के दिनों में पसीने के साथ साथ शरीर से जरूरी मिनरल और साल्ट भी निकल जाते हैं। डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) न हो, इस लिए डाक्टर ज्यादा से ज्यादा पानी और पेय पदार्थ लेने की सलाह देते हैं।  इन गर्मियों में आप और आपका परिवार इन समस्याओं से ग्रस्त न हो इसलिए हम आप को बताने जा रहे हैं उन पेय पदर्थों के बारे में जो आप को गर्मी में भी स्वस्थ और कुल बनाए रखने में मदत करे।
गर्मी को दूर भगाने के लिए आप ठंडाई पी सकते हैं। भरी धूप में चलकर आने वाले मेहमानों का स्वागत भी चाय से न करके ठंडाई से करें, तो क्या कहने! इन दिनों बाजार में बने बनाए फ्लेवरों में ठंडाई उपलब्ध है। बस, जरूरत है दूध और शक्कर की। गिलास भर दूध में मिलाएं दो चम्मच ठंडाई और दो चम्मच चीनी। फिर मस्त हो पीएं और पिलाएं।
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फलों का राजा आम गर्मियों में ही होता है। दूध के साथ इसे मिक्सी में मेश करें। ऊपर से स्वादानुसार चीनी या शहद डाल लें। बस बन गया मैंगो शेक! गर्मियों में रोजाना इसका सेवन करें।
नींबू पानी भारत का पारंपरिक पेय पदार्थ है। गर्मी के दिनों में सुबह उठते ही नींबू पानी का सेवन करें। इसे बनाने के लिए एक ग्लास पानी में एक नींबू, चीनी (स्वादानुसार) और काला नमक मिला लें। इसे रोज पीने से लू नहीं लगती।
4- मसाला छाछ
गर्मियों में छाछ का सेवन खाने के साथ नियमित रूप से करें। यह भोजन को पचाने में मदद करता है।
5- आम का पना
इसे कच्चे आम को मेश कर पानी में मिलाकर बनाया जाता है। इसमें आप   स्वादानुसार भुना जीरा, काली मिर्च, काला नमक (पसंद हो तो) और चीनी मिला सकते हैं। गर्मी में यह किसी रामबाण से कम नहीं। इसे पीने से लू नहीं लगती। इसलिए धूप में निकलने से पहले इसे जरूर पीएं।
6- पानी वाले फल, सब्जियां 
गर्मी के दिनों में ऐसे ढेर सारे फल और सब्जियां बाजार में उपलब्ध होते हैं जिनमें प्रचुर मात्रा में पानी होता है। इनमें तरबूज, खरबूज, खीरा, ककड़ी, संतरा आदि प्रमुख हैं। गर्मियों में इनका जमकर सेवन जरूर करें।
7- लस्सी
दही को खूब फेंटकर और चीनी मिलाकर बनाई जाती है। बेहतर होगा यदि आप चीनी की जगह शहद का इस्तेमाल करें। गर्मी के दिनों में रोजाना इसका सेवन करें।
8- सत्तू
गर्मी के दिनों में नाश्ते में सत्तू बेहद लाभकारी है। इसे 'स्टमक कूलेंट' भी कहते हैं। वजह है कि यह पेट की गर्मी को शांत करता है। यूं तो बाजार में बने बनाए पैकेटों में सत्तू उपलब्ध होता है। लेकिन आप इसे खुद भी बना सकते हैं। इसके लिए जौ, चना और गेहूं को बराबर मात्रा में पिसवा लें। इसे पानी में मिलाकर पीएं। स्वाद के लिए आप इसमें नमक या शक्कर का इस्तेमाल कर सकते हैं

पानी की शुद्धता कैसे जाने

पानी की शुद्धता कैसे जाने

रंगहीन, गंधहीन और स्वापदहीन पानी शरीर के लिए बहुत जरूरी है। हमारे शरीर के प्रत्येपक अंग में पानी ही पानी है, हड्डियों में भी। बिना खाये आप 18 दिन तक जी सकते हैं, लेकिन पानी के बिना आप सात दिन से अधिक नहीं जी सकते हैं। यानी पानी के बिना जीवन की कल्परना करना अतिशयोक्ति होगी। यह शरीर को बीमारियों से बचाता है और इसे स्वास्थ् रखने में भी मदद करता है।
चिकित्साक नियमित रूप से 10-12 गिलास पानी पीने की सलाह देते हैं। पानी पीने के साथ सबसे अधिक जरूरी है स्वरच्छू और शुद्ध पानी पीना। झरने से निकलते हुए पानी को सबसे अधिक शुद्ध माना जाता है। आरओ या यूवी का पानी साफ माना जाता है लेकिन यह स्वा स्यन  के लिए नुकसानदेह भी हो सकता है।
कंज्यूमर एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर ने आरओ और पानी को शुद्ध करने वाले विभिन्न उपकरणों की जांच की है। इस दौरान देश के विभिन्न शहरों में आरओ का प्रयोग करने वाले और न करने वाले घरों में बीमार पड़ने वालों का अनुपात 50:50 देखा गया। पानी को शुद्ध करने वाले उपकरणों में खास तरह की मेंब्रेन काम करती है, जो बुरे के साथ-साथ अच्छे जीवाणुओं को भी अवशोषित कर लेती है। इससे पानी में पाए जाने वाले मिनरल, शरीर में नहीं पहुंच पाते। यही जीवाणु हमें पेट संबंधी बीमारियों से बचाते हैं।
शुद्धता की पहचान
दरअसल अलग-अगल जगहों का पानी का टीडीएस (टोटल डिजाल्व सॉलिड) स्तर अलग-अगल होता है। इसके मानक विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने तैयार किए हैं। उसने 100 से 150 स्तर के टीडीएस को ठीक बताया है। इसलिए अगर आप अपने घर में आरओ (रिवर्स ऑसमोसिस) या यूवी सिस्टम लगवा रहे हैं तो म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन से पानी की जांच करा लीजिए। अगर टीडीएस सामान्य से अधिक हो, तभी आरओ या यूवी लगवाना चाहिए।
बोतलबंद पानी भी नहीं है शुद्ध
अगर आपको लगता है कि आप जो मिनरल वॉटर या सप्लाभई किये हुए पानी को पी रहे हैं और वह पूरी तरह से शुद्ध है तो आप गलत हैं, इसमें भी शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले जीवाणु गायर्डिया (Giardia) पाया जाता है। दरअसल पानी को साफ करने वाली कंपनियां नदियों, नालों, भूमिगत स्रोतों, आदि जगह से पानी लेकर उसे साफ करने के लिए उसमें कोएगुलेंट (coagulants) केमिकल डालती हैं। यह केमिकल पानी में मौजूद गंदी को पानी के तल पर पहुंचा देता है।
भारत की स्थि‍ति है खराब
शुद्ध और पर्याप्त पानी स्वस्थ जीवन की एक प्रमुख जरूरत है। आंकड़ों की मानें तो भारत में केवल 30 प्रतिशत लोगों को ही साफ पीने का पानी मिलता है और वो भी पूरी तरह से शुद्ध नहीं होता है। देश के कई हिस्सों में जमीन में पानी का स्तर कम हो जाने के कारण पानी की कमी है। उद्योंगों के कचरे के कारण पानी के बहुत से स्रोत प्रदूषित हो रहे है। बहुत सी नदियां गंदी नालियां बन चुकी हैं, और पानी के अन्य स्रोत पूरी तरह प्रदूषित हो चुके हैं।
अशुद्ध पानी से होती हैं बीमारियां
आप जो पानी पी रहे हैं वह कीटाणुरहित होन चाहिए। साथ ही उसमें नुकसान पहुंचाने वाले रसायन, गन्ध और स्वाद भी नहीं होना चाहिए। असुरक्षित और अपर्याप्त पीने का पानी कई प्रकार की बीमारियों का कारण बनता है। बारिश के दिनों में पीने का पानी साफ नहीं रहता है, इस मौसम में पानी का विशेष ध्याान रखें। साफ पानी न पीने से हैजा, उल्टी (गेस्ट्रोएन्ट्राइटिस), टायफाएड, पोलियो, पीलिया, दस्त, त्वफचा में संक्रमण हो सकता है। क्योंकि इसमें शरीर के लिए जरूरी बैक्टीवरिया भी अवशेषित हो जाते हैं। इस लेख में विस्तांर से जानिये आप जो पानी पी रहे हैं वह शुद्ध है या नहीं।  क्या  आरओ है फायदेमंद