सेक्सुअल रिलेशनशिप मन और शरीर से जुडा हुआ एक खूबसूरत एहसास है और इसमें मन-शरीर दोनों का कंफर्ट लेवल काफी मायने रखता है। यदि रोमांस करते समय आप तनावग्रस्त या उदासी महसूस करती हैं, चाहे वो आपके फिगर को लकर ही क्यों न हो, ते इससे सेक्सुअल रिलेशन व उससे जुडी आनंद की अनुभूति भी प्रभावित होती है। आज के आधुनिकता इस दौर में हर कोई एक दूसरे से आगे निकालने की होड में है और अपने आंतरिक रिश्तों की अहमियत कोभूलते जा रहे हैं इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पड रहा है हमारे सेक्स जीवन पर। अब तो सेक्स क्रिया को पति पत्नी बोरियत समझने लगे हैं इन नुसखों को अपनाएं जो आपकी सेक्स लाइफ को पूरे रोमांस से भर देंगे।

पोजीशन वगैरह चेंज करके भी सेक्स से अच्छा आनंद मिल सकता है। इस बारे में भी दोनों खुलकर बात करें। सेक्स दोनों को शारीरिक ही नही मानसिक रूप से भी करीब लाता है। इस जुडाव से दांपत्य जीवन मजबूत होता है। रतिक्रिया सेक्स को कभी भी काम की तरह या खाना खाने की भांति न निपटाएं। भूख लगी है तो खाना खाना ही है। काम की तरह निपटाने से जल्द ही इससे ऊब जाएंगे।
बच्चों के जन्म के बाद पत्नी को सेक्स में पहले जैसी रूचि नहीं रह जाती। जबकि अध्ययन तो बताते हैं कि बच्चों के जन्म के बाद क्लाइमेक्स चरमोत्कर्ष की तीव्रता बढ जाती है। निम्न बातों पर गौर करें तो पाएंगे कि अध्ययन ही सही हैं। हम आपको बता रहे छोटेछोटे मंत्र जिनको आजमाकर आपका सेक्स जीवन लंबे समय तक सुरक्षित रह सकता है और शादी के कई वषों� बाद भी इसका आनंद उठाते रहेंगे।
नहाते समय करें रोमांस सप्ताह में कितनी बार सेक्स किया आदि बातों पर ध्यान न देते हुए यह ध्यान रखें जब भी करें इसे पूरी तरह से एंज्वॉय करें तो आप पाएंगे कि इसमें संख्या का विशेष महत्व नहीं है। सप्ताह में 4 बार से ज्यादा मजा आपको 2 बार में भी आ सकता है। यदि पति-पत्नी दोनों कामकाजी हैं। समयाभाव और थकान के कारण सेक्स लाइफ खत्म जैसी हो जाती है। ऎसे में बेहतर होता है कि सुबह उठकर फ्रेश मूड में सेक्स का आनंद उठाएं। या मौका मिलने पर साथ नहाने भी जा सकते हैं।

बाजार में आ रही सेक्स दवाओं आदि का अंधभक्त होकर उपयोग न करें। विज्ञापन आदि से भ्रमित होकर ऎसा लग सकता है कि इनके बिना कुछ कमी सी है, लेकिन प्राकृतिक रूप से भी आप इसका आनंद उठा सकते हैं। मैगजीन्स आदि में प्रकाशित सेक्स से संबंधित आर्टिकल्स या इमेजेस, सीडी आदि का सहारा ले सकते हैं।
सेक्स में आप क्या चाहती हैं, आपको क्या अच्छा लगता है, इस बारे में जीवनसाथी से खुलकर बात करें। एक-दूसरे के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं। टहलने के लिए हो सके तो प्रतिदिन आसपास ही कहीं जाएं या टेरेस पर चहलकदमी करें। साल या डेढ साल में शहर से बाहर घूमने जरूर जाएं। यह ब्रेक आपको तरोताजा रखता है। यह आम समस्या है कि आदमी कहता रहता है समय नहीं है, लेकिन इन चीजों के लिए यदि समय नहीं निकालेंगे तो जीवन का नीरस लगना स्वाभाविक है।
शरीर का बेडौल होना या शेप में न होना कई बार महिलाओं में हीनता की भावना भर देता है। याद रखें शादी और बच्चों के बाद अब आप इस स्तर पर आ गए हैं जहां शायद इन चीजों का इतना महत्व नहीं रह जाता। ईश्वर द्वारा बनाए गए इस अनमोल शरीर में रंग, रूप, आकार भिन्न-भिन्न हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि आप संतुलित खानपान और व्यायाम का बिल्कुल भी ध्यान न रखें।
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