प्रेग्नेंसी कैलेंडर से जाने बच्चे का विकास का हाल
गर्भधारण के बाद बच्चे का विकास होना शुरू हो जाता है। गर्भावस्था कैलेंडर के द्वारा इसकी जानकारी की जा सकती है। गर्भधारण के प्रोसेस में स्त्री के अंडाणु और पुरूष के शुक्राणुओं के मिलने से बच्चे की उत्पति होती है।

प्रेग्नेंसी कैलेंडर द्वारा स्त्री यह जान सकती हैं कि होने वाला बच्चे नॉर्मल है या नहीं। गर्भावस्था कैलेंडर के माध्यम से ही भ्रूण के विकास और आने वाली स्थितियों का अंदाजा रहता है। कई बार इस कैलेंडर की बदौलत गर्भवती अपनी डिलीवरी तिथि के बारे में भी जान सकती है। पहले ट्राईमेस्टर में एक से तीन महीने, दूसरे ट्राईमेस्टर में चार से छह महीने और तीसरे ट्राईमेस्टर में सात से नौ महीने होते हैं।
भ्रूण का अलग-अलग महीनों में विकास के लिए प्रेग्नेंली कैलेंडर दिए जा रहे हैं-
पहला महीना
गर्भधारण के पहले महीने में आमतौर पर सेहत संबंधी समस्याएं अधिक नहीं होती। इस महीने में स्त्री को मासिकधर्म आने बंद हो जाते हैं और स्त्री को बार-बार वाशरूम के चक्कर लगाना पड़ जाता है। त्वचा का रंग भी बदल सकता है, ऐसे में भारी सामान उठाने से परहेज करना चाहिए।
दूसरा महीना
यह थोड़ा जटिल समय होता है, इस महीने में बच्चे के हृदय का विकास होता है और इसलिए इसमें सावधानी आवश्यक है। दूसरे महीने के बाद अल्ट्रा साउंड के सहारे यह बताना आसान हो जाता है कि बच्चे का सिर किस तरफ है और पैर किस तरफ है।
तीसरा महीना
तीसरे महीने में बच्चे की हड्डियों के साथ ही कान और बाहरी अंगों का निर्माण होता है। इस समय बच्चे का सिर शरीर का सबसे बड़ा भाग होता है।
चौथा महीना
चौथे महीने में हार्मोन का निर्माण होने लगता है और बच्चा के शरीर से एमनियोटिक द्रव भी निकलने लगता है। इस समय बच्चे का वजन लगभगग 85 ग्राम तक होता है।
पांचवा महीना
पांचवे महीने में बच्चे की लंबाई लगभग 25 सेंटीमीटर होती है। ऐसे में होने वाले बच्चे की गति को महसूस किया जा सकता है। हालांकि इस महीने में बच्चें के नए अंग नहीं बनते, लेकिन बच्चे के हाथों और पैरों के पैड और उंगलियों का विकास होता है।
छठा महीना
कुछ बच्चों का जन्मि 6 महीनों पर ही हो जाता है। ऐसे बच्चों को प्रीमैच्योर बेबी कहा जाता है। इस समय बच्चे के शरीर में ब्राउन वसा बननी शुरू हो जाती है, जिससे बच्चे के शरीर का ताप नियंत्रित रहता है।
सातवां महीना
बच्चें की किक महसूस करने का समय आ गया है। गर्भवती स्त्री की नींद पर भी असर पड़ सकता है। होने वाला बच्चे आपके पाचन तंत्र को और आपकी सांसों की गति को महसूस कर सकता है। कुछ बच्चे इस समय भी पैदा हो जाते हैं, लेकिन उन्हें विशेष देखभाल की आवश्यहकता होती है।
आठवां महीना
इस महिने में बच्चे, अब किसी भी समय इस नई दुनिया में प्रवेश कर सकता है। लेकिन, वो जितना समय आपके गर्भ में बिताएगा बच्चे के स्वास्थ के लिए यह उतना ही अच्छा होता है। इस महिने में बच्चे का पूरा विकास हो चुका होता है।
नवां यानी अंमित महीना
चिकित्सहक ने शायद आपको प्रसव का दिन बता दिया हो। आपका शिशु कभी भी दुनिया में कदम रख सकता है। यह खुशी के साथ ही खतरों का भी समय है, इस समय अपने अनुभवों को महसूस करना बेहद जरूरी है। बच्चेक का वजन अब 7 पाउंड तक हो सकता है।
अधिकतर बच्चे चिकित्स के बताए गए समय से पहले ही पैदा हो जाते हैं। ऐसे में आपको सर्जरी व प्राकृतिक रूप से होने वाले प्रसव की भी जानकारी होनी चाहिए। हो सके तो घर के बाहर कम निकलें और देख-रेख के लिए हर समय आपके पास कोई ना कोई होना चाहिए।
गर्भावस्था की योजना }o{ मनचाही संतान }o{ भ्रूण का विकास }o{ गर्भावस्था के लक्षण }o{ गर्भधारण के बाद सावधानियां }o{ गर्भावस्था में कामवासना }o{ गर्भावस्था के दौरान होने वाले अन्य बदलाव }o{ गर्भावस्था में स्त्री का वजन }o{ गर्भावस्था की प्रारिम्भक समस्या }o{ गर्भावस्था की तकलीफें और समाधान }o{ कुछ महत्वपूर्ण जांचे }o{ गर्भावस्था में भोजन }o{ गर्भावस्था में संतुलित भोजन }o{ गर्भावस्था में व्यायाम }o{ बच्चे का बढ़ना }o{ गर्भावस्था के अन्तिम भाग की समस्याएं }o{ प्रसव के लिए स्त्री को प्रेरित करना }o{ प्रसव प्रक्रिया में सावधानियां }o{ अचानक प्रसव होने की दशा में क्या करें }o{ समय से पहले बच्चे का जन्म }o{ प्रसव }o{ जन्म }o{ नवजात शिशु }o{ प्रसव के बाद स्त्रियों के शरीर में हमेशा के लिए बदलाव }o{ बच्चे के जन्म के बाद स्त्री के शरीर की समस्याएं }o{ स्त्रियों के शारीरिक अंगों की मालिश }o{ प्रसव के बाद व्यायाम }o{ नवजात शिशु का भोजन }o{ स्तनपान }o{ बच्चे को बोतल से दूध पिलाना }o{ शिशु के जीवन की क्रियाएं }o{ स्त्री और पुरुषों के लिए गर्भ से संबंधित औषधि }o{ परिवार नियोजन
भ्रूण का अलग-अलग महीनों में विकास के लिए प्रेग्नेंली कैलेंडर दिए जा रहे हैं-
पहला महीना

दूसरा महीना
यह थोड़ा जटिल समय होता है, इस महीने में बच्चे के हृदय का विकास होता है और इसलिए इसमें सावधानी आवश्यक है। दूसरे महीने के बाद अल्ट्रा साउंड के सहारे यह बताना आसान हो जाता है कि बच्चे का सिर किस तरफ है और पैर किस तरफ है।
तीसरा महीना
तीसरे महीने में बच्चे की हड्डियों के साथ ही कान और बाहरी अंगों का निर्माण होता है। इस समय बच्चे का सिर शरीर का सबसे बड़ा भाग होता है।
चौथा महीना
चौथे महीने में हार्मोन का निर्माण होने लगता है और बच्चा के शरीर से एमनियोटिक द्रव भी निकलने लगता है। इस समय बच्चे का वजन लगभगग 85 ग्राम तक होता है।
पांचवा महीना
पांचवे महीने में बच्चे की लंबाई लगभग 25 सेंटीमीटर होती है। ऐसे में होने वाले बच्चे की गति को महसूस किया जा सकता है। हालांकि इस महीने में बच्चें के नए अंग नहीं बनते, लेकिन बच्चे के हाथों और पैरों के पैड और उंगलियों का विकास होता है।
छठा महीना
कुछ बच्चों का जन्मि 6 महीनों पर ही हो जाता है। ऐसे बच्चों को प्रीमैच्योर बेबी कहा जाता है। इस समय बच्चे के शरीर में ब्राउन वसा बननी शुरू हो जाती है, जिससे बच्चे के शरीर का ताप नियंत्रित रहता है।
सातवां महीना

आठवां महीना
इस महिने में बच्चे, अब किसी भी समय इस नई दुनिया में प्रवेश कर सकता है। लेकिन, वो जितना समय आपके गर्भ में बिताएगा बच्चे के स्वास्थ के लिए यह उतना ही अच्छा होता है। इस महिने में बच्चे का पूरा विकास हो चुका होता है।
नवां यानी अंमित महीना
चिकित्सहक ने शायद आपको प्रसव का दिन बता दिया हो। आपका शिशु कभी भी दुनिया में कदम रख सकता है। यह खुशी के साथ ही खतरों का भी समय है, इस समय अपने अनुभवों को महसूस करना बेहद जरूरी है। बच्चेक का वजन अब 7 पाउंड तक हो सकता है।
अधिकतर बच्चे चिकित्स के बताए गए समय से पहले ही पैदा हो जाते हैं। ऐसे में आपको सर्जरी व प्राकृतिक रूप से होने वाले प्रसव की भी जानकारी होनी चाहिए। हो सके तो घर के बाहर कम निकलें और देख-रेख के लिए हर समय आपके पास कोई ना कोई होना चाहिए।
गर्भावस्था की योजना }o{ मनचाही संतान }o{ भ्रूण का विकास }o{ गर्भावस्था के लक्षण }o{ गर्भधारण के बाद सावधानियां }o{ गर्भावस्था में कामवासना }o{ गर्भावस्था के दौरान होने वाले अन्य बदलाव }o{ गर्भावस्था में स्त्री का वजन }o{ गर्भावस्था की प्रारिम्भक समस्या }o{ गर्भावस्था की तकलीफें और समाधान }o{ कुछ महत्वपूर्ण जांचे }o{ गर्भावस्था में भोजन }o{ गर्भावस्था में संतुलित भोजन }o{ गर्भावस्था में व्यायाम }o{ बच्चे का बढ़ना }o{ गर्भावस्था के अन्तिम भाग की समस्याएं }o{ प्रसव के लिए स्त्री को प्रेरित करना }o{ प्रसव प्रक्रिया में सावधानियां }o{ अचानक प्रसव होने की दशा में क्या करें }o{ समय से पहले बच्चे का जन्म }o{ प्रसव }o{ जन्म }o{ नवजात शिशु }o{ प्रसव के बाद स्त्रियों के शरीर में हमेशा के लिए बदलाव }o{ बच्चे के जन्म के बाद स्त्री के शरीर की समस्याएं }o{ स्त्रियों के शारीरिक अंगों की मालिश }o{ प्रसव के बाद व्यायाम }o{ नवजात शिशु का भोजन }o{ स्तनपान }o{ बच्चे को बोतल से दूध पिलाना }o{ शिशु के जीवन की क्रियाएं }o{ स्त्री और पुरुषों के लिए गर्भ से संबंधित औषधि }o{ परिवार नियोजन
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