गर्भावस्था को प्रभावित कर सकता है उच्च रक्तरचाप
Pregnancy में उच्चा रक्तचाप सबसे आम समस्या है। Pregnancy के दौरान हाई ब्लेड प्रेशर का सीधा प्रभाव स्त्री और भ्रूण पर पड़ता है।
Pregnancy के दौरान उच्चर रक्तचाप की समस्या स्त्रिओं के लिए खतरनाक हो सकता है। Pregnancy के दौरान ब्ल्ड प्रेशर अधिकतर तनान के कारण होता है।
आमतौर पर देखा जाता है कि गर्भावस्था में स्त्रिओं में उच्च रक्तचाप अगर मां बनने के बाद ठीक हो जाए तो इसका कोई दीर्घकालिक प्रभाव नहीं होता है।
Pregnancy के दौरान उच्चर रक्तचाप की समस्या स्त्रिओं के लिए खतरनाक हो सकता है। Pregnancy के दौरान ब्ल्ड प्रेशर अधिकतर तनान के कारण होता है।
आमतौर पर देखा जाता है कि गर्भावस्था में स्त्रिओं में उच्च रक्तचाप अगर मां बनने के बाद ठीक हो जाए तो इसका कोई दीर्घकालिक प्रभाव नहीं होता है।
Pregnancy में उच्च रक्तचाप
Pregnancy में यदि हाई ब्लरड प्रेशर की समस्या लंबे समय से हो तो यह दीर्घकालिक उच्च रक्तचाप या क्रॉनिक हाइपरटेंशन कहलाता है। यदि हाई ब्लरड प्रेशर की समस्या pregnancy के 20 सप्ताह बाद, प्रसव में या प्रसव के 48 घंटे के भीतर होता है तो यह प्रेग्नेंसी इड्यूस्ड हाइपरटेंशन कहलाता है। इस दौरान यदि रक्तचाप 140/90 या इससे अधिक है तो स्त्री और बच्चे दोनों को परेशानी हो सकती है। इससे मरीज एक्लें प्शिया में पहुंच सकता है, यह एक प्रकार की जटिलता है जिसमें स्त्री को झटके आने शुरू हो जाते हैं।
स्त्रिओं में pregnancy के हाई ब्ल ड प्रेशर की समस्यां बहुत देखी जाती है। भ्रूण के विकास के साथ यह समस्यां गंभीर होती जाती है। Pregnancy के दौरान यदि भोजन में पौष्टिक खाद्य पदार्थों का अभाव है तो स्त्रियां खून की कमी का शिकार होती हैं। शरीर में खून की कमी से फीटस का विकास रुक जाता है। इससे मिसकैरेज होने की संभावना भी बनी रहती है।
Pregnancy के दौरान हाई ब्लमड प्रेशर तीन प्रकार का होता है- क्रोनिक हाइपरटेंशन, गेस्टेचशनल हाइपरटेंशन और प्रीक्लेंदप्शिया।
स्त्रिओं में pregnancy के हाई ब्ल ड प्रेशर की समस्यां बहुत देखी जाती है। भ्रूण के विकास के साथ यह समस्यां गंभीर होती जाती है। Pregnancy के दौरान यदि भोजन में पौष्टिक खाद्य पदार्थों का अभाव है तो स्त्रियां खून की कमी का शिकार होती हैं। शरीर में खून की कमी से फीटस का विकास रुक जाता है। इससे मिसकैरेज होने की संभावना भी बनी रहती है।
Pregnancy के दौरान हाई ब्लमड प्रेशर तीन प्रकार का होता है- क्रोनिक हाइपरटेंशन, गेस्टेचशनल हाइपरटेंशन और प्रीक्लेंदप्शिया।
Pregnancy में हाई ब्लयड प्रेशर के खतरे
- Ppregnancy के दौरान उच्च् रक्त चाप के कारण बच्चेत का विकास बाधित हो सकता है। बच्चेr के लिए जरूरी विटामिन और प्रोटीन नही मिल पाता। इसका असर होने वाले बच्चेि के वजन पर भी पड़ता है।
- हाइपरटेंशन के कारण गर्भनाल को नुकसान हो सकता है। कुछ मामलों में गर्भनाल गर्भाशय से अलग हो जाता है। इसके कारण बच्चेो की ऑक्सीमजन की आपूर्ति बाधित होती है। स्त्री को रक्तणस्राव भी हो सकता है।
- Pregnancy के दौरान हाई ब्ल ड प्रेशर से समय से पूर्व डिलीवरी होने की संभावना बढ़ जाती है।
- यदि स्त्री को pregnancy के दौरान हाई ब्लवड प्रेशर की समस्याढ है तो प्रसव के 20 सप्ताैह बाद हृदय की बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है।
- Pregnancy के दौरान उचित खानपान और नियमित चेकअप के जरिए इसकी जटिलताओं को कम किया जा सकता है। यदि आपको इस दौरान हाइपरटेंशन के लक्षण दिखें तो चिकित्सतक से तुरंत संपर्क कीजिए।
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