Monday, 30 March 2015

योग टिप्स : शरीर से प्यार करना सीखें

योग टिप्स : शरीर से प्यार करना सीखें

शरीर और मन को यंत्र की तरह चलाते रहने में हम खुद को भी भूले रहते हैं। आज के व्यस्त जीवन शैली में व्यक्ति सेहत के प्रति तो लापरवाह रहता ही है साथ ही वह खुद क्या है यह भी भूलकर बेहोशी में ही जीवन व्यतित कर रहे हैं। जो लोग यह समझते हैं कि हम होश में जी रहे हैं उन्हें होश के स्तर का शायद ही पता हो। जीवन के ऐसे ही स्थिति के लिए हम यहां शरीर से प्यार करने का एक छोटा से योगा टिप्स बताने जा रहे हैं।
कभी कभी आपको लगता होगा कि अरे! कैसे वक्त गुजर गया पता ही नहीं चला। कभी लोगों को गौर से देखना http://www.jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AEवे किस तरह व्यस्तता से काम कर रहे हैं। योग इस व्यस्त जीवन के खिलाफ है। यम, नियम, योगासन और प्राणायाम से यह व्यस्त जीवन शैली खत्म हो जाती है और व्यक्ति के होश का स्तर बढ़ जाता है। फिर उसे शरीर और मन की हर हरकत का ध्यान रहता है।
हालांकि योग कहता है कि सेहत पाना है या मोक्ष- सबसे पहले शरीर को ही साधना होगा। इसीलिए योगासन किए जाते हैं। शरीर को साधने के पहले क्या आपने कभी स्वयं के शरीर से प्यार किया है? यह बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल है। लोग अपने अपनों से प्यार जरूर करते होंगे लेकिन खुद से प्यार करना भी जरूरी है।
सचमुच ही दुनिया की सबसे बड़ी दौलत तो आपका शरीर ही है और आप मन के पीछे भागते रहते हैं। जरा शरीर की भी तो खैर खबर लें। जब रोग होता है तभी शरीर के होने का पता चलता है, तभी उसकी की याद आती है। लोग शरीर में सिर्फ चेहरे की ही देखरेख करते हैं बाकी अंग तो सभी उपेक्षा के शिकार हैं।
ऐसे करें शरीर से प्यार : कभी शरीर को दर्पण के सामने खड़े होकर निहारें और सचमुच ही उसका सम्मान करें। कभी दाएं हाथ से बाएं हाथ को छूकर प्यार करें, फिर बांएं से दाएं को। इसी तरह पैरों को एक दूसरे से छूकर प्यार करें। दाएं कंधे को बाएं हाथ से और बाएं कंधे को दाएं हाथों की हथेलियों से छूकर दबाएं और सहलाएं। इसी तरह चेहरे को और फिर अन्य अंगों को छूकर उन्हें प्यार करें। यह कारगर स्पर्श योगा है।
शरीर को बाचाएं कष्टों से : शरीर को हर तरह के कष्टों से बचाने का प्रयास करें- जैसे धूल, धुंवा, प्रदूषण, तेज धूप, ठंड, गलत खानपान आदि। खासकर शरीर मन के कष्टों से बहुत प्रभावित होता है। योग में कहा गया है कि क्लेश से दुख उत्पन्न होता है दुख से शरीर रुग्ण होता है। रुग्णता से स्वास्थ्य और सौंदर्य नष्ट होने लगता है।
http://www.jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AEतो शरीर को प्रतिदिन प्यार करें, दुलार करें और उसे हर तरह के कष्टों से बचाएं। सचमुच दवा से ज्यादा असर इस प्यार में हैं।
इसके अलावा यदि ये नियम पालना चाहें तो....
आहार : पानी का अधिकाधिक सेवन करें, ताजा फलों के जूस, दही की छाछ, आम का पना, इमली का खट्टा-मीठा जलजीरा, बेल का शर्बत आदि तरल पदार्थों को अपने भोजन में शामिल करें। ककड़ी, तरबूज, खरबूजा, खीरा, संतरा, बेल तथा पुदीने का भरपूर सेवन करते हुए मसालेदार या तैलीय भोज्य पदार्थ से बचें।
योगा पैकेज : नौकासन, हलासन, ब्रह्म मुद्रा, पश्चिमोत्तनासन, सूर्य नमस्कार। प्राणायम में शीतली, भ्रामरी और भस्त्रिका या यह नहीं करें तो नाड़ी शोधन नियमित करें। सूत्र और जल नेति का अभ्यास करें। मूल और उड्डीयन बंध का प्रयोग भी लाभदायक है। पांच मिनट का ध्यान अवश्य करें।

कुछ इस तरह रखें गर्मियों त्वचा का ख्याल

कुछ इस तरह रखें गर्मियों त्वचा का ख्याल

गर्मी बहुत तेज पड़ रही हैं और इसका साफ-साफ असर हमारी त्वचा पर दिखने लगा है। ऐसे में आपको अपनी त्वचा के लिए थोड़ा सा समय निकालना होगा। गर्मियों में त्वचा की देखभाल करना बहुत ही जरुरी है। धूप हमारे चेहरे की रंगत छीन लेती है। गर्मियों में कैसे करें सौंदर्य की देखभाल, आइये जानें-
-चंदन को प्राकृतिक और सौंदर्यवर्धक माना जाता रहा है, क्योंकि यह ठंडा होता है। इसके अलावा यह सनबर्न से बचाव करता है। चंदन का तेल एक प्राकृतिक सनस्क्रीन होता है।
-गर्मी के दिनों में चेहरे पर खीरे का रस लगायें। झुलसी हुई त्वचा के लिए यह फायदेमंद है।
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-गर्मियों में त्वचा की देखभाल के लिए एक चुटकी कपूर को थोड़े से शहद में मिलाकर इससे चेहरा धोयें, चेहरा खिल उठेगा।
-गर्मी के मौसम में नहाने से पहले फेस पर नीम या गुलाब का फेस पैक लगाएं और सूख जाने पर ताजे पानी से साफ कर लें।
-त्वचा पर बर्फ रगडऩे से चेहरे से धब्बे और पिंपल दूर होते हैं।
-गुलाब जल को आईस-ट्रे में जमाकर बर्फ की क्यूब्स को आंखों के इर्द-गिर्द रगडऩा चाहिए। गुलाब जल थकी हुई त्वचा को तरोताजा करता है।
-गर्मी के समय दिन में अगर आप 4 घंटे से भी ज्यादा धूप में रहती हैं, तो फेस पर अच्छी तरह सनस्क्रीन लोशन लगाएं

लाभदायक योगासन

लाभदायक योगासन


यह कुछ आसनों का क्रम है। इसे क्रम से करने से सभी तरह के रोगों में लाभ पाया जा सकता है। जिन्हें अपनी बॉडी को फिट रखकर सेहतमंड बने रहना है वह इन आसनों को क्रम से नियमित करते रहेंगे तो हमेशा तरोजाता बने रहेंगे।
स्टेप 1- नमस्कार मुद्रा करते हुए नटराजासन, एकपाद आसन, कटि चक्रासन, उत्कटासन करने के बाद पुन: नमस्कार मुद्रा में लौटकर, चंद्रासन, अर्ध उत्तनासन और फिर पादस्तासन करते हुए पुन: चंद्रासन करके नमस्कार की मुद्रा में लौट आएँ।
स्टेप 2- नमस्कार मुद्रा के बाद अर्ध उत्तनासन और फिर दाएँ पैर को पीछे ले जाकर हनुमान करें फिर अधोमुख श्‍वानासन करते हुए बाएँ पैर को आगे रखते हुए पुन: हनुमानासन करते हुए विरभद्रासन-1 करें। फिर प्रसारिता पादोत्तनासन करें। प्रसारिता पादोत्तनासन के बाद फिर कोहनी को घुटने पर टिकाते हुए उत्थिष्ठ पार्श्वकोणासन करें।
स्टेप 3- उत्थिष्ठ पार्श्वकोणासन के बाद फिर पुन: हनुमानासन करते हुए अधोमुख श्वानासन करें। अब दाएँ पैर को सामने रखते हुए पुन: हनुमान आसन करते हुए विरभद्रासन-1 करें। विरभद्रासन के बाद फिर प्रसारिता पादोत्तनासन करें। फिर कोहनी को घुटने पर टिकाते हुए उत्थिष्ठ पार्श्वकोणासन करें।
स्टेप 4- उत्थिष्ठ पार्श्वकोणासन के बाद पुन: हनुमान आसन में लौटकर अधोमुख श्‍वानासन में आकर मार्जायासन और फिर बिटिलियासन करें।
स्टेप 5- बिटिलियासन के बाद, वज्रासन में बैठ जाएँ। वज्रससन में बैठकर योग मुद्रा, उष्ट्रासन, भारद्वाजासन, आंजेनेय आसन, दंडासन, बंधकोणासक, वक्रासन, पवन मुक्तासन और नौकासन करें।
स्टेप 6- नौकासन के बाद पुन: नमस्कार मुद्रा में लौट आएँ और फिर चतुरंग दंडासन, भुजंगआसन, धनुरासन करते हुए मकरासन में लेट जाएँ।
स्टेप 7- मकरासन के बाद शवासन करते हुए पादअँगुष्‍ठासन, विपरितकर्णी आसन, आनंद बालासन, हलासन, पवन मुक्तासन, सेतुबंध आसन, मत्स्यासन करते हुए पुन: शवासन में लौट आएँ। शवासन में कुछ देर आराम करने के बाद उठ जाएँ।
कुल आसन : 36
अवधि : 30 मिनट 
  1. http://www.jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%86%E0%A4%B8%E0%A4%A8नटराजासन,
  2. एकपाद आसन,
  3. कटि चक्रासन
  4. उत्कटासन
  5. चंद्रासन,
  6. अर्ध उत्तनासन,
  7. पादहस्तासन
  8.  हनुमान आसन
  9. अधोमुख श्‍वानासन
  10. विरभद्रासन
  11. प्रसारिता पादोत्तनासन
  12. उत्थिष्ठ पार्श्वकोणासन।
  1. http://www.jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%86%E0%A4%B8%E0%A4%A8मार्जायासन
  2. बिटिलियासन
  3. वज्रासन
  4. योग मुद्रा,
  5. उष्ट्रासन
  6. भारद्वाजासन
  7. आंजेनेय आसन,
  8. दंडासन,
  9. बंधकोणासक
  10. वक्रासन
  11. पवन मुक्तासन
  12. नौकासन।
  1. http://www.jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%86%E0%A4%B8%E0%A4%A8चतुरंग दंडासन
  2.  भुजंगआसन
  3. धनुरासन
  4. मकरासन
  5. शवासन
  6. पादअँगुष्ठासन,
  7. विपरितकर्णी आसन,
  8. आनंद बालासन,
  9. हलासन
  10. सेतुबंध आसन
  11. मत्स्यासन
  12. शवासन।

Saturday, 28 March 2015

गर्मियों के मौसम में कैसे रखें अपना ख्याल

गर्मियों के मौसम में कैसे रखें अपना ख्याल


जहां तक संभव हो सके, ताजे भोजन को ही तरजीह दें। ज्ञात रहे इस मौसम में सब्जी, दालें जल्दी खराब हो जाती हैं। अतः ठंडा एवं बासी भोजन आपका स्वास्थ्य खराब कर सकता है।
मौसमी फलों का सेवन अत्यधिक करें। गर्मी में आम, खरबूजा, तरबूज, संतरा, मौसंबी, अंगूर एवं ककड़ी बहुतायत में मिलती हैं। इनसे आपको गर्मी से सुकून तो मिलेगा ही आपको तरोताजा बनाए रखने में भी ये http://www.jkhealthworld.com/main/all-health-tipsमददगार साबित होंगे।
ज्यादा मात्रा में चाय या कॉफी को महत्व न देते हुए नींबू की मीठी शिकंजी, कच्चे आम का पना, मट्ठा (छाछ), गन्ने के रस को प्राथमिकता दें। इससे आपको ऊर्जा तो मिलेगी ही आप शीतलता का अहसास भी करेंगे।
कैरी पने के सेवन से लू से भी बचा जा सकता है। याद रहे, फ्रीज के ठंडे पानी के बजाए मटके का ठंडा पानी ही पिएं।

तुलसी के क्या-क्या होते हैं फायदे जानिए इस पोस्ट में

तुलसी के फायदे


तुलसी में अनेक औषधीय गुण होते हैं जो हृदय रोग और सर्दी जुकाम में लाभकार होता है।
1- सर्दी जुकाम में लाभप्रद
सर्दी जुकाम होने पर तुलसी की पत्तियों को चाय में उबालकर पीने से राहत मिलती है। तुलसी का अर्क तेज बुखार को कम करने में भी कारगर साबित होता है।
2- कफ
करीब सभी कफ सीरप को बनाने में तुलसी का प्रयोग किया जाता है। तुलसी की पत्तियां कफ साफ करने में मदद करती हैं। इसके के कोमल पत्तों को चबाने से खांसी और नजले से राहत मिलती है।
3- गले की खराश
चाय की पत्तियों को उबालकर पीने से गले की खराश दूर हो जाती है। इस पानी को आप गरारा करने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
http://www.jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%A4%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%B8%E0%A5%804- श्वास की समस्या
श्वास संबंधी समस्याओं का उपचार करने में तुलसी विशेष उपयोगी होती है। शहद, अदरक और तुलसी को मिलाकर बनाया गया काढ़ा पीने से ब्रोंकाइटिस, दमा, कफ और सर्दी में राहत मिलती है। नमक, लौंग और तुलसी के पत्तों से बनाया गया काढ़ा इंफ्लुएंजा (एक तरह का बुखार) में फौरन राहत देता है।
5- गुर्दे की पथरी
तुलसी गुर्दे को मजबूत बनाती है। यदि किसी के गुर्दे में पथरी हो गई हो तो उसे शहद में मिलाकर तुलसी के अर्क का नियमित सेवन करना चाहिए। छह महीने में फर्क दिखेगा।
6- हृदय रोग
तुलसी खून में कोलेस्ट्राल के स्तर को घटाती है। ऐसे में हृदय रोगियों के लिए यह खासी कारगर साबित होती है।
7- बच्चों के लिए रामबाण
बच्चों में बुखार, खांसी और उल्टी जैसी सामान्य समस्याओं में तुलसी बहुत फायदेमंद है।
8- तनाव
तुलसी की पत्तियों में तनाव रोधीगुण भी पाए जाते हैं। हाल में हुए शोधों से पता चला है कि तुलसी तनाव से बचाती है। तनाव को खुद से दूर रखने के लिए कोई भी व्यक्ति तुलसी के 12 पत्तों का रोज दो बार सेवन कर सकता है।
9- मुंह का संक्रमण
अल्सर और मुंह के अन्य संक्रमण में तुलसी की पत्तियां फायदेमंद साबित होती हैं। रोजाना तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है।
10- त्वचा रोग
दाद, खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में तुलसी के अर्क को प्रभावित जगह पर लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है। नैचुरोपैथों द्वारा  ल्यूकोडर्मा का इलाज करने में तुलसी के पत्तों को सफलता पूर्वक इस्तेमाल किया गया है।
11- सांसों की दुर्गध
तुलसी की सूखी पत्तियों को सरसों के तेल में मिलाकर दांत साफ करने से सांसों की दुर्गध चली जाती है। पायरिया जैसी समस्या में भी यह खासा कारगर साबित होती है।
12- सिर का दर्द
सिर के दर्द में तुलसी एक बढि़या दवा के तौर पर काम करती है। तुलसी का काढ़ा पीने से सिर के दर्द में आराम मिलता है।
13- आंखों की समस्या    
आंखों की जलन में तुलसी का अर्क बहुत कारगर साबित होता है। रात में रोजाना श्यामा तुलसी के अर्क को दो बूंद आंखों में डालना चाहिए।

Friday, 27 March 2015

गर्मी के मौसम के लिए बेहद फायदेमंद है ये पेय पदार्थ

गर्मी के मौसम के लिए बेहद फायदेमंद है ये पे पदार्थ 

गर्मी की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में हमें ज्यादा से ज्यादा पेय पदार्थो का सेवन करना चाहिए क्योंकि गर्मी के दिनों में पसीने के साथ साथ शरीर से जरूरी मिनरल और साल्ट भी निकल जाते हैं। डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) न हो, इस लिए डाक्टर ज्यादा से ज्यादा पानी और पेय पदार्थ लेने की सलाह देते हैं।  इन गर्मियों में आप और आपका परिवार इन समस्याओं से ग्रस्त न हो इसलिए हम आप को बताने जा रहे हैं उन पेय पदर्थों के बारे में जो आप को गर्मी में भी स्वस्थ और कुल बनाए रखने में मदत करे।
गर्मी को दूर भगाने के लिए आप ठंडाई पी सकते हैं। भरी धूप में चलकर आने वाले मेहमानों का स्वागत भी चाय से न करके ठंडाई से करें, तो क्या कहने! इन दिनों बाजार में बने बनाए फ्लेवरों में ठंडाई उपलब्ध है। बस, जरूरत है दूध और शक्कर की। गिलास भर दूध में मिलाएं दो चम्मच ठंडाई और दो चम्मच चीनी। फिर मस्त हो पीएं और पिलाएं।
http://www.jkhealthworld.com/main/health-tips
फलों का राजा आम गर्मियों में ही होता है। दूध के साथ इसे मिक्सी में मेश करें। ऊपर से स्वादानुसार चीनी या शहद डाल लें। बस बन गया मैंगो शेक! गर्मियों में रोजाना इसका सेवन करें।
नींबू पानी भारत का पारंपरिक पेय पदार्थ है। गर्मी के दिनों में सुबह उठते ही नींबू पानी का सेवन करें। इसे बनाने के लिए एक ग्लास पानी में एक नींबू, चीनी (स्वादानुसार) और काला नमक मिला लें। इसे रोज पीने से लू नहीं लगती।
4- मसाला छाछ
गर्मियों में छाछ का सेवन खाने के साथ नियमित रूप से करें। यह भोजन को पचाने में मदद करता है।
5- आम का पना
इसे कच्चे आम को मेश कर पानी में मिलाकर बनाया जाता है। इसमें आप   स्वादानुसार भुना जीरा, काली मिर्च, काला नमक (पसंद हो तो) और चीनी मिला सकते हैं। गर्मी में यह किसी रामबाण से कम नहीं। इसे पीने से लू नहीं लगती। इसलिए धूप में निकलने से पहले इसे जरूर पीएं।
6- पानी वाले फल, सब्जियां 
गर्मी के दिनों में ऐसे ढेर सारे फल और सब्जियां बाजार में उपलब्ध होते हैं जिनमें प्रचुर मात्रा में पानी होता है। इनमें तरबूज, खरबूज, खीरा, ककड़ी, संतरा आदि प्रमुख हैं। गर्मियों में इनका जमकर सेवन जरूर करें।
7- लस्सी
दही को खूब फेंटकर और चीनी मिलाकर बनाई जाती है। बेहतर होगा यदि आप चीनी की जगह शहद का इस्तेमाल करें। गर्मी के दिनों में रोजाना इसका सेवन करें।
8- सत्तू
गर्मी के दिनों में नाश्ते में सत्तू बेहद लाभकारी है। इसे 'स्टमक कूलेंट' भी कहते हैं। वजह है कि यह पेट की गर्मी को शांत करता है। यूं तो बाजार में बने बनाए पैकेटों में सत्तू उपलब्ध होता है। लेकिन आप इसे खुद भी बना सकते हैं। इसके लिए जौ, चना और गेहूं को बराबर मात्रा में पिसवा लें। इसे पानी में मिलाकर पीएं। स्वाद के लिए आप इसमें नमक या शक्कर का इस्तेमाल कर सकते हैं

पानी की शुद्धता कैसे जाने

पानी की शुद्धता कैसे जाने

रंगहीन, गंधहीन और स्वापदहीन पानी शरीर के लिए बहुत जरूरी है। हमारे शरीर के प्रत्येपक अंग में पानी ही पानी है, हड्डियों में भी। बिना खाये आप 18 दिन तक जी सकते हैं, लेकिन पानी के बिना आप सात दिन से अधिक नहीं जी सकते हैं। यानी पानी के बिना जीवन की कल्परना करना अतिशयोक्ति होगी। यह शरीर को बीमारियों से बचाता है और इसे स्वास्थ् रखने में भी मदद करता है।
चिकित्साक नियमित रूप से 10-12 गिलास पानी पीने की सलाह देते हैं। पानी पीने के साथ सबसे अधिक जरूरी है स्वरच्छू और शुद्ध पानी पीना। झरने से निकलते हुए पानी को सबसे अधिक शुद्ध माना जाता है। आरओ या यूवी का पानी साफ माना जाता है लेकिन यह स्वा स्यन  के लिए नुकसानदेह भी हो सकता है।
कंज्यूमर एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर ने आरओ और पानी को शुद्ध करने वाले विभिन्न उपकरणों की जांच की है। इस दौरान देश के विभिन्न शहरों में आरओ का प्रयोग करने वाले और न करने वाले घरों में बीमार पड़ने वालों का अनुपात 50:50 देखा गया। पानी को शुद्ध करने वाले उपकरणों में खास तरह की मेंब्रेन काम करती है, जो बुरे के साथ-साथ अच्छे जीवाणुओं को भी अवशोषित कर लेती है। इससे पानी में पाए जाने वाले मिनरल, शरीर में नहीं पहुंच पाते। यही जीवाणु हमें पेट संबंधी बीमारियों से बचाते हैं।
शुद्धता की पहचान
दरअसल अलग-अगल जगहों का पानी का टीडीएस (टोटल डिजाल्व सॉलिड) स्तर अलग-अगल होता है। इसके मानक विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने तैयार किए हैं। उसने 100 से 150 स्तर के टीडीएस को ठीक बताया है। इसलिए अगर आप अपने घर में आरओ (रिवर्स ऑसमोसिस) या यूवी सिस्टम लगवा रहे हैं तो म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन से पानी की जांच करा लीजिए। अगर टीडीएस सामान्य से अधिक हो, तभी आरओ या यूवी लगवाना चाहिए।
बोतलबंद पानी भी नहीं है शुद्ध
अगर आपको लगता है कि आप जो मिनरल वॉटर या सप्लाभई किये हुए पानी को पी रहे हैं और वह पूरी तरह से शुद्ध है तो आप गलत हैं, इसमें भी शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले जीवाणु गायर्डिया (Giardia) पाया जाता है। दरअसल पानी को साफ करने वाली कंपनियां नदियों, नालों, भूमिगत स्रोतों, आदि जगह से पानी लेकर उसे साफ करने के लिए उसमें कोएगुलेंट (coagulants) केमिकल डालती हैं। यह केमिकल पानी में मौजूद गंदी को पानी के तल पर पहुंचा देता है।
भारत की स्थि‍ति है खराब
शुद्ध और पर्याप्त पानी स्वस्थ जीवन की एक प्रमुख जरूरत है। आंकड़ों की मानें तो भारत में केवल 30 प्रतिशत लोगों को ही साफ पीने का पानी मिलता है और वो भी पूरी तरह से शुद्ध नहीं होता है। देश के कई हिस्सों में जमीन में पानी का स्तर कम हो जाने के कारण पानी की कमी है। उद्योंगों के कचरे के कारण पानी के बहुत से स्रोत प्रदूषित हो रहे है। बहुत सी नदियां गंदी नालियां बन चुकी हैं, और पानी के अन्य स्रोत पूरी तरह प्रदूषित हो चुके हैं।
अशुद्ध पानी से होती हैं बीमारियां
आप जो पानी पी रहे हैं वह कीटाणुरहित होन चाहिए। साथ ही उसमें नुकसान पहुंचाने वाले रसायन, गन्ध और स्वाद भी नहीं होना चाहिए। असुरक्षित और अपर्याप्त पीने का पानी कई प्रकार की बीमारियों का कारण बनता है। बारिश के दिनों में पीने का पानी साफ नहीं रहता है, इस मौसम में पानी का विशेष ध्याान रखें। साफ पानी न पीने से हैजा, उल्टी (गेस्ट्रोएन्ट्राइटिस), टायफाएड, पोलियो, पीलिया, दस्त, त्वफचा में संक्रमण हो सकता है। क्योंकि इसमें शरीर के लिए जरूरी बैक्टीवरिया भी अवशेषित हो जाते हैं। इस लेख में विस्तांर से जानिये आप जो पानी पी रहे हैं वह शुद्ध है या नहीं।  क्या  आरओ है फायदेमंद

Tuesday, 24 March 2015

दही और कबाब



कबाब के विभिन्न संस्करण आसानी से पाये जा सकते हैं और हर एक संस्करण दूसरे की तुलना में अलग है। इस नये स्वाद को सर्दियों में अनुभव करें और मौसम का मज़ा लें  ।
मुख्य सामग्री
http://www.jkhealthworld.com/main/health-tips4 ग्राम सफेद मिर्च पावडर,1 बड़ा चम्मच रिफाइन्ड तेल का, 4 ग्राम इलायची पावडर, 30 ग्राम काजू पिसा हुआ, 1 दही जिससे पूरी तरह पानी निखरा हो, 2 बड़ा प्याज़ बारीक कटा हुआ,10 ग्राम मक्के का आटा,100 ग्राम कम वसा वाला पनीर, स्वादानुसार नमक, 10 ग्राम धनिया की पत्तियां कटी हुई  ।
प्याज़ और अदरक को रिफाइन्ड तेल में डालें और तब तक भुनें जबतक कि यह थोड़ा भूरा ना हो जाये फिर बची हुई सभी सामग्री को इसमें डाल लें ।जब यह थोड़ा कड़ा हो जाये तो इसे सिक्के की तरह बना लें और आकार बड़ा रखें जिसे कि हम टिक्की कहते हैं । इनपर मक्के के आटे को डाल दें और इन्हें तेल में तलें और फिर इसे नीबू पानी और सलाद के साथ परोसें ।
न्यूट्री चेक
दही और खमीर से पाचन तंत्र ठीक रहता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर होती है ।

खानपान की आदत पर भी असर डालता है आपका व्यक्तित्व

खानपान की आदत पर भी असर डालता है आपका व्यक्तित्व

व्यक्तित्व के अनुसार खान-पान रॉबर्ट कुशनर द्वारा बनाया गया है। वह पोषण और मोटापे से संबंधित एक जाने माने विशेषज्ञ है। इस वजन घटाने कार्यक्रम में आपके खाने की आदतो का आपके व्यक्तित्व और आपकी जीवन शैली पर क्या प्रभाव पङता है,पर विचार किया गया है। वजन घटाने के लिए एक प्रभावी योजना के रूप में डाइट कई विशेषज्ञों द्वारा मान्यता प्राप्त है और यहां तक की मायो क्लिनिक द्वारा भी स्वीकृत है।
कुछ विशेषज्ञों के अनुसार व्यक्तित्व के अनुसार खान-पान
व्यक्तित्व के अनुसार खान-पान किस तरह काम करता है?
व्यक्तित्व के अनुसार खानपान पर विचार विमर्श करता है कि हम सब अलग अलग और विशिष्ट प्रकार के व्यक्तित्व में आते या रखते हैं --- इसलिए हम सबकी अलग अलग धारणा है और व्यायाम करने और डाइटिंग करने के अपने अपने तरीके हैं। जैसे अपने  व्यक्तित्व के अनुसार आपका खानपान - एक "बिना सोचे समझे हर समय चपङ चपङ खाने वालो में" या एक "अवसर पङने पर भी थोङा खाने वालो में" से है।
डॉ. कुशनर के  ऑनलाइन प्रश्नावली से आपका अपने व्यक्तित्व के अनुसार आहार निर्धारण करने में सहायता कर सकती हैं। व्यक्तित्व के अनुसार खानपान के निर्धारण के बाद- वजन कम करने के लिए आपके व्यक्तिगत आहार का निर्धारण आपकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं पर विचार करने के बाद किया जाता है। यह आपकी खाने की आदतो और व्यवहार को बदलने में आपकी मदद करेगा। यदि आप चाहते है तो आप अपने वैयक्तिगत आहार के अपनाने में किसी संस्थान से जुङ कर मदद ले सकते है।
आहार खाद्य पदार्थों को तुरंत नहीं निकालते है, और यह एक कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा का अच्छा संतुलन है। इसका उद्देश्य कम वजन को प्राप्त करना है उस समय स्वस्थ और पौष्टिक खाद्य पदार्थ को खाना और व्यायाम करना है। आहार फल, सब्जियां, अनाज, नट्स, बीज, सूखे सेम, मसूर, चिकन, लीन मीट और सोया जैसे पूरे खाद्य पदार्थ खाने को अपने आहार में शामिल प्रोत्साहित करती है। खान पान का सेम्पल मेनू और व्यंजनों को सेम्पल भी आपके खानपान की योजना के साथ दिया जाता है। सेम्पल मेनू में तीन तरह के भोजन और दो तरह के नाश्ते जो आपको लगभग 1,365 कैलोरी प्रदान करना भी  शामिल है।
http://www.jkhealthworld.com/main/health-tipsव्यक्तित्व के अनुसार खान-पानः पक्ष
  • इस आहार का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह जानता है कि हम सब अलग अलग व्यक्तित्व के हैं और वहाँ हर व्यक्ति एक मास्टर प्लान के अनुरूप नही हो सकता। क्योंकि हम सभी अलग अलग व्यक्तित्व के है – यह व्यक्तित्व दृष्टिकोण वजन घटाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है।
  • खान पान में एक और अच्छी बात यह है कि यह हमारे खानपान से खाद्य पदार्थों को अलग नहीं करता है बल्कि एक पौष्टिकता से भरे खाने की आदतों को विकसित करने और अपने स्वयं के पोषण के लिए एक पौष्टिक आहार खाने पर बल देता है।
  • योजना के रूप में व्यायाम के साथ कैलोरी और वसा को एक सीमा के साथ खाने में लेने पर जोर दिया है, फलतः यह वजन घटाने में प्रभावी होता है। अपने लक्षित वजन को प्राप्त करने के बाद उसे बनाए रखने के लिए आप इस योजना का पालन करेंगे।
  • खान-पान की योजना  कई पोषण विशेषज्ञों और मायो क्लिनिक द्वारा भी प्रशंसित हैयदि आप किसी ऐसे नेटवर्क से जुङ सके जो वजन कम करने पर बल देते हो व्यक्तित्व के अनुसार खान-पान आपको अपने ही जैसे डाइटिंग करने वाले लोगो से मिलने और आपको वजन को कम करने के लिए प्रेरित करने में मदद कर सकते है।
व्यक्तित्व के अनुसार खान-पानः विपक्ष
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के आहार के शायद ही कोई खराबी या नकारात्मक तत्व हो। जो लोग संस्था या बातचीत करने के लिए और अपने भोजन के संतुलन के लिए तैयार नहीं हैं, या जो अपने खान पान और जीवन शैली को बदलने के लिए कौशिश करने के लिए तैयार नही है। इसके जरिये(व्यक्तित्व के अनुसार खानपान) उन लोगो से वजन की समस्या का समाधान हो सकता है।
व्यक्तित्व के अनुसार खान-पान के प्रकारः लघु और दीर्घकालीन प्रभाव
यदि आप अपने दीर्घकालिक  अरचनात्मक और नकारात्मक खाने की आदतों और व्यवहार को बदलने के लिए प्रयास करने को तैयार हैं तो खान-पान आपके लिए पूरक नही है। हमारी खाने की आदतों और व्यवहार बदलने के लिए खान-पान की योजना से हमारे पतले और स्वस्थ बने रहने की उम्मीद रहती है।

केवल आहार का एक प्रकार का नहीं है बल्कि एक एकीकृत, व्यक्तिगत सिस्टम या अवधारणा है जो कि आपको अतिरिक्त वजन से छुटकारा पाने और आपके लक्षित वजन(कम वजन) को प्राप्त करने के बाद उसे बनाए रखने के मददगार होता है।

चुकंदर जो बनाए रखे आप को हमेशा जवां

जवाँ दिखने के लिए खायें चुकंदर


चुकंदर का जूस सेहत के लिए सबसे फायदेमंद होता है। एक तथ्य यह भी है कि चुकंदर के सेवन से त्वचा में निखार आता है, शरीर में हिमोग्लोबीन का निर्माण होता है और रक्त साफ होता है। आप सलाद या सब्ज़ी में चुकंदर का प्रयोग कर सकते हैं या इसका रस भी ले सकते हैं।
अधिक उम्र के लोगों के लिए:
उम्र के साथ ऊर्जा व शक्ति कम होने लगती है, चुकंदर का सेवन अधिक उम्र वालों में भी ऊर्जा का संचार करता है। अधिक उम्र के लोगों में व्यायाम के दौरान अधिक आक्सीजन की आवश्यकता होती है।  ऐसे मे व्यायाम से पूर्व चुकंदर का रस लें।
त्वचा की समस्या:
चुकंदर को उबाल कर उस पानी को मुहांसों पर, त्वचा पर हुए संक्रमण पर लगाने से त्वचा की समस्या से छुटकारा मिलता है। चुकंदर में सिरका मिलाकर मीजल्सर जैसे बुखार में भी लगाया जा सकता है।
डैंड्रफ:
बालों में डैंड्रफ होने पर भी चुकंदर को पानी में उबाल कर, इस पानी में सिरका मिलाकर लगाने से फायदा होता है।
एनीमिया:
चुकंदर का रस मानव शरीर में हिमोग्लो बीन बनाता है। इसमें बहुत अधिक मात्रा में आयरन पाया जाता है, जो रेड ब्लंड सेल्सी का निर्माण करता है और शरीर में ताज़ा आक्सीअजन का संचार करता है। एनीमिया जैसी बीमारी में चुकंदर बहुसत लाभदायी है।
पाचन क्रिया के लिए:
जांडिस, हेपेटाइटिस, डायरिया जैसी समस्या  में चुकंदर के रस को नीबू के रस में मिला कर लिया जा सकता है।
दिल की बीमारियों का इलाज:
चुकंदर के रस में नाइट्रेट नामक रसायन होता है, जो रक्त के दबाव को  कम कर देता है। इससे दिल की बीमारी अथवा दौरे का जोखिम कम होता है। चुकंदर का जूस व्यायाम के दौरान रक्तचाप स्थिर रखता है।
थकान मिटानी हो या शरीर में नयी ऊर्जा का संचार करना हो, चुकंदर का सेवन करें।

Monday, 23 March 2015

मूली के 20 लाभ जो आपके सेहत को बनाए स्वस्थ

आपकी सेहत को ये 20 लाभ पहुंचाती है मूली

1. पेट के लिए मूली बहुत लाभदायक होती है। पेट की कई बीमारियों में मूली का रस बहुत फायदेमंद होता है। अगर पेट में भारीपन महसूस हो रहा हो तो मूली के रस को नमक में मिलाकर पीने से आराम मिलता है।
2. पेशाब होने में दिक्कत हो तो मूली के रस का सेवन कीजिए। अगर अगर पेशाब आना बंद हो जाए या पेशाब में जलन हो तो मूली का रस बहुत फायदेमंद होता है। 
3. मूली खाने से लिवर मजबूत होता है। लीवर व स्लीहोतान (प्लीहा) के मरीजों को अपने दैनिक भोजन में मूली का जमकर सेवन करना चाहिए। 
4. गले की सूजन में मूली का पानी, सेंधा नमक को मिलाकर इसे गरम करें और फिर इससे गरारा कीजिए। इससे गले की सूजन कम होगी और फायदा होगा। 
5. मूली का रस दिल के लिए बहुत फायदेमंद होता है। मूली के रस से गला भी साफ होता है। 
6. मूली को घी भूनकर खाने से पित्तफ और कफ में फायदा होता है। 
7. मूली को हल्दी के साथ खाने से बवासीर में फायदा होता है। बवासीर के मरीजों को हर रोज मूली का सेवन करना चाहिए।
8. मूली दांतों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। मूली खाने से दांत मजबूत होते हैं। 
9. मूली में कैल्शियम पाया जाता है, इसलिए यह हड्डियों को भी मजबूत करता है। 
10. मूली के रस को अनार के रस में मिलाकर पीने से हीमोग्लोबिन बढता है। 
11. दमा और खांसी के मरीजों को मूली का सेवन करना चाहिए। खांसी आने पर सूखी मूली, काला नमक व जीरा मिलाकर बने काढे को पीने से फायदा होता है। 
12. मूली स्वयं हजम नहीं होती, लेकिन अन्य भोज्य पदार्थों को पचा देती है। भोजन के बाद यदि गुड़ की 10 ग्राम मात्रा का सेवन किया जाए तो मूली हजम हो जाती है।
13. मूली के रस में थोड़ा नमक और नीबू का रस मिलाकर नियमित रूप में पीने से मोटापा कम होता है और शरीर सुडौल बन जाता है।
14. सुबह-सुबह मूली के नरम पत्तों पर सेंधा नमक लगाकर खाने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है। 
15. थकान मिटाने और अच्छी नींद लाने में भी मूली काफी फायदेमंद होती है। 
16. पेट के की़ड़ों को नष्ट करने में भी कच्ची मूली फायदेमंद साबित होती है। 
17. हाई ब्लड प्रेशर को शांत करने में मूली मदद करती है।
18. पेट संबंधी रोगों में यदि मूली के रस में अदरक का रस और नीबू मिलाकर नियम से पियें तो भूख बढ़ती है।
19. माना जाता है कि मूली खांसी बढ़ाती है। लेकिन यह गलत है। सूखी मूली का काढ़ा बनाकर जीरे और नमक के साथ उसका सेवन किया जाये, तो न केवल खांसी बल्कि दमे के रोग में भी लाभ होता है। 
20. त्वचा के रोगों में यदि मूली के पत्तों और बीजों को एक साथ पीसकर लेप कर दिया जाये, तो यह रोग खत्म हो जाते हैं। 
मूली हमारे पेट के हाजमें के लिए बड़ा ही उपयोगी होती है। मूली एक पाचक की तरह काम करती है। अगर आप खाने के साथ मूली का प्रयोग हर रोज करते हैं तो आपका पेट साफ रहेगा। 

एटलकिंस डायट प्लान से करें वजन कम

एटलकिंस डायट प्लान से करें वजन कम

वजन कम करने के लिए एटकिंस डाइट प्लान बहुत कारगर है जिसका लाभ कई भारतीय मशहूर हस्तियों ने भी उठाया।  यह लो-कार्बोहाइड्रेट और उच्च प्रोटीन वाली डाइट है। इसके अनुसार खाद्य पदार्थो को उपचार के लिए बताई गई दवा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है-जिसमें खाद्य पदार्थों का सही तालमेल दवाओं की तरह गुणकारी होता है। 
इस डाइट प्लाजन के तहत व्यक्ति अपने आहार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को कम कर देता है और धीरे-धीरे इसे बढ़ाता है। इसके तहत असीमित मात्रा में फल व सब्जियों का सेवन भी शामिल है। यह डाइट वसा कम करने का सबसे उत्त म माध्यम है। इस आहार योजना में तीन तरह के भोजन और दो स्नैक्स होते हैं। स्नैक्स का सेवन दोपहर बाद और देर शाम रखा गया है। आइए हम आपको इस डाइट प्लाोन के बारे में विस्ताार से बताते हैं। 
एटकिंस डायट प्लाटन के जरिये वजन धीरे-धीरे कम होता है, इसलिए अन्यम विशेषज्ञ भी इस डायट प्लायन को शरीर के लिए फायदेमंद मानते हैं। इस आहार योजना में डायट प्लािन को कई हिस्से् में बांटा गया है। इसमें व्या याम पर ज्याोदा जोर नहीं दिया गया है। लेकिन इसके साथ कुछ पाबंदियां भी हैं, जिसका पालन करना अनिवार्य है। 
चरण 1  
इसके पहले चरण में आमतौर पर दो सप्ताकह के लिए होता है। एक से दो सप्ताह आपको 12 से 15 ग्राम कार्बोहाइड्रेट प्रतिदिन लेना होता है। इस दौरान आपको चिकन, रेड मीट, अंडे, पनीर, मछली, तेल, मसाले और जड़ी-बूटियों का सेवन नहीं करना है। इसके अलावा यदि आपने यह डाइट प्ला न शुरू किया है तो एल्कोजहल बिलकुल भी नहीं लेना है। सुबह के नाश्तेप में आप केले का सेवन कर सकते हैं, यदि आपको अंडा बहुत पसंद हो तो खा सकते हैं वो भी केवल सुबह के नाश्तेन में। दोपहर के भोजन में भूने हुए चिकन के साथ एक प्ले ट सलाद खाइए। रात के खाने में उबला या भूना हुआ चिकन के साथ हरी सब्जियों का सेवन कीजिए, नींबू के रस के साथ सलाद भी खा सकते हैं। इसके अलावा आप दिन में दो बार स्नैजक्सक भी ले सकते हैं। 
चरण 2 
एटकिंस डाइट प्ला न में आप अपनी नियमित कार्बाइाड्रेट की मात्रा को बढ़ाकर 25 ग्राम प्रतिदिन कर सकते हैं। इस आहार योजना परिणाम इसके दो सप्ताबह में दिखने लगता है। इसके दूसरे चरण में यानी दो सप्तायह बाद नाश्तेप में दो अंडों के साथ हरी सब्जियों और ताजे फलों का सेवन कर सकते हैं। दोपहर के खाने में पनीर, गोभी या बेकन के साथ सलाद, कटा हुआ अंडा या भुना हुआ तुर्की बर्गर खा सकते हैं। रात के खाने में मांस के साथ सब्जीा ले सकते हैं, इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होती है, स्नैेक्सब में कद्दू के बीज, फल और पनीर के टुकड़े खा सकते हैं। 
चरण 3 
इसके तीसरे चरण में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को दोबारा लेना शुरू करना होता है जो आपके आहार में पहले से शामिल था। इस दौरान आपका वजन कम होता है तब भी आप अपने डाइट में प्रत्येलक सप्तााह 10 ग्राम कार्बोहाइड्रेट शामिल कीजिए। एटकिंस डाइट प्लापन के तीसरे चरण में आप नाश्तेय में शुगर मुक्ता सीरप के साथ पतली रोटी खा सकते हैं। दोपहर के खाने में टूना मछली के साथ चिकन भी खा सकते हैं, इसके अलावा सूप, सलाद और फल भी दोपहर के खाने में शामिल कीजिए। रात के खाने में मछली, साबुत गेंहूं वाला पास्तार या ब्राउन राइस खाइए। तीसरे चरण में स्नैखक्स  में सूखे मेवे, फल, उबले अंडे खा सकते हैं। 
चरण 4 
इसके चौथे चरण यानी अंतिम चरण का पालन जीवनभर करना होता है, इसलिए इस चरण को लाइफटाइम मैंटेनेंस कहते हैं। इस चरण तक आप यह निर्धारित कर लेते हैं कि आपको कौन सा आहार सबसे ज्यासदा पसंद आया। इसके प्रत्ये क आहार में 10 से 20 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है, इसलिए आप अपने आहार को आसानी से चुन सकते हैं। इस चरण में ब्रेकफास्ट , लंच और डिनर में आप अपने हिसाब से आहार शामिल कर सकते हैं। अंडा, मांस, पनीर और पास्ता0 एक निश्चित मात्रा में खाने के कारण आपका वजन दोबारा बढ नहीं सकता है।

पेट के रोगी के लिए चावल सबसे अच्छा आहार


चावल लोगों के मुख्य भोजन में शामिल होता है, लेकिन क्या आपको पता है चावल सेहत के लिहाज से भी उपयोगी माना जा सकता है। यह पचने में आसान होता है। इस लेख में हम आपको बता रहे हैं चावल के फायदों के बारे में।
चावल जितना पुराना हो उतना ही स्वादिष्ट और ओज से भरा होता है। चावल को सब्जी, मछली और मांस के साथ खाया जाता है। चावल में प्रोटीन, विटामिन और खनिज होते हैं। आइए हम आपको चावल के गुणों के बारे में बताते हैं।
चावल के लाभ 
चावल के मांड यानी पकाते वक्त बचा हुआ सफेद गाढा पानी बहुत काम का होता है। उसमें प्रोटीन, विटामिन्स व खनिज होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। इसलिए चावल को मांड सहित खाना चाहिए।
कमजोर पेट वालों के लिए चावल का मांड बहुत फायदेमंद है। चावल का मांड खाने से खाना पचाने में आसानी होती है। चावल में दूध मिलाकर 20 मिनट तक ढंककर रख दीजिए, फिर उसके खाइए ज्यादा फायदा होगा।
यदि डिनर में रोटी कम खाई जाए और चावल को प्रयेग ज्यादा किया जाए, तो यह हल्का भोजन आपके स्वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद होगा।
तीन साल पुराना चावल काफी स्वादिष्ट व ओजवर्धक होता है। इसलिए पुराने चावल का ज्यादा      प्रयोग करना चाहिए।
अगर पेट की समस्या हो तो चावल की खिचडी का सेवन करना चाहिए।
आतिसार और पेचिश पडने पर चावल खाना चाहिए। अतिसार में चावल को आंटे की लेई की तरह पकाकर उसमें गाय का दूध मिलाकर रोगी को सेवन कराएं, इससे अतिसार में फायदा होगा।
चावल और मूंग के दाल की खिचडी खाने से दिमागी विकास होता है और शरीर शक्तिशाली होता है।
दस्त होने पर चावल का प्रयोग करना चाहिए। चावल को दही के साथ खाने से दस्त में फायदा होता है।
यदि भांग का नशा ज्यादा हो गया हो तो चावल धोकर निकाले पानी में खाने का सोडा दो चुटकी व शक्कर मिलाकर पिलाने से नशा उतर जाता है।
अगर पेशाब में कोई समस्या हो तो चावल के धुले पानी में सोडा और शक्कर मिलाकर पीने से पेशाब की समस्या दूर हो जाती है। यही पेय मूत्र विकार में भी काम आता है।
माइग्रेन या आधासीसी की समस्या हो तो रात को सोने से पहले चावल को शहद के साथ मिलाकर खाने से लाभ होता है। एक सप्ता‍ह ऐसा करने से सरदर्द की समस्या समाप्त हो जाएगी।
यदि महिलाएं गर्भ निरोधक प्रयोग नहीं करना चाहती हैं तो चावल धुले पानी में चावल के पौधे की जड़ पीसकर छान लें। इसमें शहद मिलाकर पिएं। यह हानिरहित सुरक्षित गर्भनिरोधक उपाय है।
सावधानी – डायबिटीज होने पर चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
चावल खाने में भले ही स्वादिष्ट न हो लेकिन यह बहुत ही गुणकारी औषधि है। चावल के फायदे को आजमाते वक्त किसी कुशल वैद्य या चिकित्सक की सलाह अवश्य ले लीजिए।

Sunday, 22 March 2015

गर्भावस्था में भारतीय किस्म के शौच का प्रयोग करने से सामान्यभ प्रसव की बढ़ती है संभावना



Pregnant होने के बाद न केवल खान-पान का ध्या न रखना पड़ता है बल्कि दिनचर्या भी बदल जाती है। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक आपको हर बात का ध्यायन रखना पड़ता है। इस दौरान स्त्री वाशरूम का भी प्रयोग ज्याकदा करती है।
आजकल पश्चिमी स्टाइल के शौच हर घर में देखने को मिलते हैं। लेकिन गर्भावस्था के दौरान इस तरह के शौचालय का इस्तेमाल नुकसानदेह साबित हो सकता है। गर्भावस्था ऐसा समय होता है जब आपको कई सावधानियां बरतनी होती हैं। इस समय आपको सब कुछ अपने बदलते शरीर के अनुसार ही करना पड़ता है। भारतीय शौचालय के इस्तेमाल से आपको डिलवरी के समय कम समस्या होती है।
क्यों सुरक्षित है भारतीय शौच
http://www.jkhealthworld.com/hindi/स्त्री-और-पुरुषों-के-लिए-गर्भ-से-संबंधित-औषधिभारतीय शौचालय के इस्तेमाल में आप पैरों के सहारे उकडूं स्थिति में बैठते हैं जिससे उत्सर्जन अधिक तेज, और सरल ढंग से पूरा होता है। इस स्थिति में श्रोणि को आराम मिलता है और उत्सर्जन के लिए पर्याप्त दाब लग पाता है। भारतीय शौच से गर्भावस्था में होने वाली आम समस्या जैसे कब्ज़ और बवासीर की समस्या में भी आराम मिलता है।
डिलवरी में आसानी
रोजाना भारतीय शौच का इस्तेमाल करने पर डिलवरी में आसानी होने की संभवाना बढ़ जाती है। इसलिए डॉक्टरर्स भी pregnant स्त्री को इसकी सलाह देते हैं।पैरों पर बैठने से जननमार्ग उचित ढंग से खुल जाता है और शिशु नीचे की ओर खिसकता जाता है और ऊपर नहीं जाता। साथ ही इससे पेट और जांघों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और आपका शरीर प्रसव पीड़ा के लिए तैयार हो जाता है।
यह भी ध्यान दें
• शौचालय के आसपास पानी नहीं हो। इससे फिसलने का डर होता है।
• ऐसी चप्पलें पहनें जो फिसलें नहीं।
• शौचालय हवादार व रोशनीयुक्त होना चाहिए।
• यदि आपको बड़े पेट के साथ बैठने में असुविधा हो रही है तो शौच स्थल के निकट दीवार पर हैंडल लगवाएं।
• यदि आपकी गर्भावस्था में कोई परेशानी है तो भारतीय किस्म के शौच का इस्तेमाल न करें।
• यदि आपको भारतीय किस्म का शौच इस्तेमाल करने की आदत नहीं है तो इसका इस्तेमाल शुरू करने से पहले अपनी डाक्टर से बात करें।
• यदि आप शौचालय में असुविधा महसूस कर रही हैं जैसे चक्कर आना, दर्द महसूस होना तो तुरंत अपनी डॉक्टर से बात करें।
• शौचालय पर बैठे हुए टॉयलेट पेपर या पानी लेने के लिए शरीर पर खिंचाव न डालें।

Pregnancy के बाद ढीली त्वचा के लिए व्यायाम और खानपान



गर्भावस्था के बाद स्त्रीओं की त्वचा में स्ट्रेच मार्क्स व ढीलापन होना सामान्य बात है। अक्समर नौ महीने बाद जब स्त्रीएं अपनी त्वचा में आए इस बदलाव को देखती हैं तो वे परेशान हो जाती हैं। इससे निजात पाने के लिए वे कई तरह के नुस्खे आजामाने लगती हैं।
ज्यादातर स्त्रीओं के साथ यह समस्या आती  है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान पेट की त्वचा सामान्य से ज्यादा फैलती है इसलिए शिशु के जन्म के बाद त्वचा में ढीलापन व स्ट्रेच मार्क्स आ जाते हैं, जो समय के साथ धीरे-धीरे जाते हैं। गर्भावस्था के बाद अक्सर स्त्रीएं अपने बढ़े हुए वजन को लेकर भी टेंशन में आ जाती हैं। यह सारी समस्याओं को आप चाहें तो आसानी से खत्म कर सकती हैं। इसके लिए जरूरी है खुद के लिए थोड़ा समय निकालने की। व्यायाम व कुछ आसान उपायों से आप फिर से पहले जैसी त्वचा पा सकती है। जानिए क्या हैं वे उपाय।
डिलीवरी के बाद फिट रहने के टिप्से
खाने पर दें ध्यान
गर्भावस्था के बाद अपनी आहार योजना में पोषक  तत्वोंै को शामिल करें। खाने में फाइबर युक्त आहार व प्रोटीन से भरपूर ची चीजें खाएं। ताजे फल व हरी सब्जियां आपको चुस्त दुरुस्त रखेंगे। लो फैट वाले डेयरी उत्पाद का प्रयोग करें। शाम के समय स्नैक्स का चुनाव करते हुए सावधानी बरतें। इस बात का खयाल रखें कि जो आहार आप ले रही हैं वो फैट फ्री हो। पानी ज्यादा से ज्यादा पीएं इसे शरीर में पानी की कमी नहीं होगी और शरीर से फैट व टॉक्सीन आसानी से बाहर निकलेंगे।
स्तनपान कराएं
स्तनपान आपको अपना पुराना फिगर हासिल करने में मदद करता है। यह धारणा बिल्कुल गलत है कि स्तनपान से आपके शरीर पर असर होगा। गर्भावस्था के दौरान जैसे-जैसे शिशु का विकास होता है गर्भाशय फैलने लगता हैजिससे त्वचा फैलती है। स्तनपान कराने से शरीर में ऑक्सीटोसीन नामक हार्मोंन बनता है जिससे गर्भाशय सिकुड़ता और वह गर्भावस्था के पहले के आकार में आ जाता है और आपको पहली जैसी त्वचा पाने में मदद मिलती है।
व्यायाम भी जरूरी
गर्भावस्था के बाद आप डॉक्टर की सलाह पर व्यायाम कर सकती हैं। अगर आपका ऑपरेशन हुआ है तो घाव भरने तक व्यायाम नहीं करना चाहिए। नियमित रुप से आधा से एक घंटा एरोबिक्स करनी चाहिए। आप चाहें तो हल्के व्यायाम से शुरुआत कर सकती हैं जैसे टहलना, स्वीमिंग आदि। व्यायाम से शरीर पर जमा अतिरिक्त फैट धीरे-धीरे कम होने लगा और आप पहले जैसी दिख सकें।
मल्टीविटामिन लें
डॉक्टर की सलाह से आप मल्टीविटामिन दवाएं भी ले सकती हैं जैसे विटामिन ए, विटामिन सी व विटामिन ई। इसमें कोलेजन होता है जिससे त्वचा में कसाव आता है। ये विटामिन त्वचा को स्वस्थ रखता है साथ ही त्वचा की नई कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है जिससे त्वचा सुंदर दिखती है।

Saturday, 21 March 2015

खतरनाक हो सकती है गर्भावस्था में रक्तचाप की समस्या


गर्भावस्था के दौरान रक्तचाप की बीमारी स्त्रीओं के लिए कई बार खतरनाक साबित हो सकती है। स्त्रीओं में गर्भावस्था के दौरान अवसाद के कारण भी रक्तचाप की शिकायत हो सकती है, जो भविष्य में दिल की बीमारी का खतरा उत्पन्न कर सकता है।
आम तौर पर माना जाता है कि गर्भावस्था में स्त्रीओं में उच्च रक्तचाप अगर मां बनने के बाद ठीक हो जाए तो इसका कोई दीर्घकालिक प्रभाव नहीं होता है। गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप से पीड़ित स्त्रीओं में इस
http://www.jkhealthworld.com/hindi/%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%A4-%E0%A4%AD%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%A8अवधि में सामान्य रक्तचाप वाली स्त्रीओं की तुलना में भविष्य में हृदयरोग से संबंधित बीमारी का खतरा 57 प्रतिशत ज्यादा होता है। गर्भावस्था की जटिलताओं में उच्च रक्तचाप एक सबसे बड़ा कारक है जो pregnant स्त्रियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और स्त्री एवं गर्भस्थर शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है।
यदि उच्च रक्तचाप की समस्या लंबे समय से हो तो यह दीर्घकालिक उच्च रक्तचाप या क्रॉनिक हाइपरटेंशन कहलाता है। यदि उच्च रक्तचाप गर्भधारण करने के 20 सप्ताह बाद, प्रसव में या प्रसव के 48 घंटे के भीतर होता है तो यह प्रेग्नेंसी इंड्यूस्ड2 हाईपरटेंशन कहलाता है। अगर रक्तचाप 140/90 या इससे अधिक है तो स्थिति गंभीर हो सकती है। मरीज एक्लेम्पशिया यानी गर्भावस्था की एक किस्म की जटिलता में पहुँच जाता है जिससे उसे झटके आने शुरू हो जाते हैं।
स्त्रियों में गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप की समस्या बहुत देखी जाती है। गर्भ के विकास के साथ उच्च रक्तचाप की स्थिति अधिक बढ़ती है। गर्भावस्था के भोजन में पौष्टिक खाद्य पदार्थों के अभाव में स्त्रीएं रक्ताल्पता की शिकार होती हैं। रक्ताल्पता से गर्भस्थ शिशु का विकास रुक जाता है। pregnant स्त्री को बहुत हानि पहुंचती है। गर्भस्राव की आशंका बनी रहती है।
गर्भावस्था के दौरान कई कारणों से ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है, जो मां और गर्भस्थ शिशु के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। यदि ब्लडप्रेशर 130/90 की सीमा से ऊपर है तो यह उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर कहलाता है।

कारण-
1.    Pregnant स्त्री में उच्च रक्तचाप की शिकायत गर्भावस्था के चलते उत्पन्न होती है।
2.    कुछ स्त्रीओं में हाई ब्लडप्रेशर की शिकायत गर्भावस्था के पहले से ही होती है।
3.    कई बार गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप की शिकायत किडनी से संबंधित बीमारी, मोटापा, चिंता और मधुमेह आदि के कारण होती है।
थोड़ा बहुत हाई ब्लडप्रेशर कुछ देर आराम करने से और बायीं करवट लेटने से कम हो जाता है, किंतु यदि ब्लडप्रेशर के साथ सिरदर्द, मतली, उल्टी, आंख से धुंधला दिखना, पैरों में सूजन और सांस फूलना आदि में से कोई समस्या हो तो बात गंभीर हो जाती है।
सतर्कता एवं उपचार -
1. यदि कोई स्त्री गर्भावस्था से पूर्व ही हाई रक्तचाप से ग्रस्त है, तो उसे हृदय रोग विशेषज्ञ और स्त्री रोग विशेषज्ञ दोनों की से सलाह लेनी चाहिए। प्रसव भी इन दोनों की देखरेख में हो तो खतरे कम रहेगे।
2. भोजन में नमक कम लें। लो सोडियम साल्ट जैसे सेंधा नमक का उपयोग कर सकती है।
3. मलाईदार दूध, मक्खन, घी, तेल, मांसाहार से परहेज करना चहिए।
4. Pregnant स्त्रीओं को पॉली अनसैचुरेटेड तेल जैसे सूरजमुखी के तेल का प्रयोग करना चाहिए।
5. लहसुन और ताजे अदरक के सेवन से रक्त के थक्के नहीं जमते है और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित होता है।
6. गर्भावस्था के दौरान यदि उच्च रक्तचाप निम्न रक्तचाप की समस्या हो जाए तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें और उनके कहे अनुसार मेडिसन लें।

Pregnancy में खानपान की अतिरिक्त जरूरत की पूर्ति के लिए लीजिए पौष्टिक आहार

Pregnant होने के साथ ही खान-पान पर सबसे ज्यावदा ध्याजन देने की जरूरत होती है। क्यों कि खान-पान पर ही मां और होने वाले शिशु का स्वाीस्य्न   निर्भर करता है। यदि खाने में जरूरी पोषक तत्वों  की कमी होगी तो कई प्रकार की जटिलतायें हो सकती हैं।
प्रेग्नेंवट होने के बाद आप खा-पान पर ध्यातन देती हैं, लेकिन क्याख आपको पता है इस दौरान किस आहार के सेवन से आपको जरूरी पोषण मिलेगा और कौन सा आहार खाने से नुकसान होगा। जैसे pregnant स्त्रीओं को पपीता न खाने की विशेष हिदायत दी जाती है। आइए हम आपकेा बताते हैं कि इस दौरान क्यात खायें और क्या  न खायें।
http://www.jkhealthworld.com/hindi/गर्भावस्था-में-संतुलित-भोजन Pregnancy के दौरान क्याी खायेंPregnant होने के बाद एक बार में खाने की बजाय भोजन को छोटे-छोटे भागों में बांटें और धीरे-धीरे लें। इस प्रकार भोजन करना आपके लिए भार भी नहीं लगेगा औऱ आपके एवं आपके बच्चे की पोषण जरूरतें भी पूरी होती रहेगीं। दे सकता है।
अपनी हड्डियों को स्वस्थ रखने औऱ शरीर में कैल्शियम के बेहतर अवशोषण के लिए विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा का सेवन करें। आप चाहें तो विटामिन डी के सप्लीमेंट ले सकती हैं या फिर जब धूप अधिक तेज नहीं हो तो इसका सेवन करें। धूप का सेवन आपके बच्चे को भी अच्छा लगेगा।
सुनिश्चित करें कि सभी फल और सब्जियां अच्छी तरह से पकाई गई हैं, खाने से पहले भोजन को गर्म कर लें, ताकि फूड पॉइजनिंग की संभावना नहीं रहे। बासी भोजन बिलकुल न खायें।
विटामिन बी की कमी पूरी करने के लिए डेयरी उत्पांदों जैसे - दूध, दही, बटर, आदि का सेवन कीजिए।
http://www.jkhealthworld.com/hindi/गर्भावस्था-में-संतुलित-भोजनखाने में ताजी और रंगीन सब्जियों का प्रयोग कीजिए, ताजे फल भी खाइए। इसमें एंटी-ऑक्सीाडेंट होता है जो शरीर को बीमारियों से बचाता है।
साबुत अनाज का सेवन कीजिए, साबुत अनाज जैसे - ब्राउन राइस, दलिया आदि आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
विटामिन और कैल्सियम की कमी पूरा करने के लिए सोया मिल्कज और पनीर खाइए। इससे आपकी और शिशु की हड्डियां मजबूत होंगी।
विभिन्नु प्रकार की दालों का प्रयोग कीजिए, दालों में जिंक आयरन और प्रोटीन भरपूर मात्रा में मौजूद होता है, जो pregnancy के दौरान बहुत जरूरी है।
क्या नहीं करना चाहिए
गर्भावस्था के दौरान या पहले शराब ना पीएं क्योंकि यह ना सिर्फ प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है, बल्कि शिशु के विकास में भी अवरोधक है। अल्कोहल लेने से फीटल अल्कोहल सिंड्रोम का खतरा रहता है, जिसमें गर्भस्थ शिशु की वृद्धि औऱ मानसिक विकास प्रभावित होता है।
कैफीन को किसी भी रूप में इसकी सुरक्षित मात्रा (200 मिग्रा/दिन) से ज्यादा ना लें। कैफीन से गर्भपात औऱ कम वजन के बच्चे के जन्म का खतरा बढता है। इसे लेना पूरी तरह बंद करें या दिन में 200 मिग्रा से ज्यादा ना लें।
कच्चा, आधा पका या बिना पकाया हुआ भोजन ना करें, इससे फूड पॉइजनिंङ हो सकता है।
विटामिन ए की जरूरत से अधिक मात्रा ना लें, क्योंकि इससे शिशु में गंभीर समस्या हो सकती है। विटामिन ए के सप्लीमेंट और लीवर ना लें, क्योंकि इसमें बहुत ज्यादा मात्रा में विटामिन ए होता है।
धूम्रपान ना करें, क्योंकि यह भ्रूण के विकास में बाधा डालता है।
गर्भावस्था के दौरान वजन घटाने की कोशिश ना करें। अगर आपका वजन अधिक है तो डाइटिंग करके इसे घटाने की कोशिश गर्भधारण से पहले ही करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान वजन घटाने की कोशिश से आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है।
इससे आपके शिशु को नुकसान पहुंच सकता है, जिसका परिणाम कम वजन के बच्चे का जन्मा या नवजात में पोषक तत्वों की कमी के रूप में सामने आ सकता है।

गर्भावस्था में ज्यादा बेड-रेस्ट नुकसानदायक

आमतौर पर स्त्रीएं अपने प्रेंगनेंट होने की खबर सुनने के बाद ज्यादा से ज्यादा आराम यानी बेड रेस्ट करने लगती है। उन्हें लगता है कि इस समय उन्हें आराम करना चाहिए इसीलिए स्त्रीएं कामकाज और यहां तक कि हल्के फुल्के शारीरिक व्यायाम भी करना छोड़ देती हैं जो कि गलत है। यह आप और आपके होने वाले बच्चे, दोनों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

गर्भावस्था में स्त्रीओं को ज्यादा क्रियाशील होना चाहिए। ज्यादा आराम करने वाली स्त्रीओं में देखा जाता है कि उनकी डिलवरी समय से पहले ही हो जाती है। इसलिए डॉक्टर भी स्त्रीओं को ऐसे समय में हल्के फुल्के व्यायाम की सलाह देते हैं।

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बहुत सी स्त्रीओं में यह भम्र फैला हुआ है कि गर्भावस्था में उन्हें बेड रेस्ट करना चाहिए या नहीं। घर में बड़े बुजुर्ग भी यही मानते हैं कि pregnant स्त्री को काम से ज्यादा आराम करना चाहिए। इससे गर्भावस्था में होने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है। लेकिन अब यह बात सिर्फ एक मिथ्य है। आजकल डॉक्टर स्त्रीओं को pregnancy में थोड़ा बहुत काम करने की सलाह देते हैं और साथ ही टहलने को भी कहते हैं क्योंकि इससे स्त्रीएं व बच्चा दोनों स्वस्थ्य रहते हैं।

बेड रेस्ट के खतरे
  • pregnant स्त्रीएं यदि बेड रेस्ट से बचें और हमेशा क्रियाशील रहें तो इससे समय से पहले बच्चे के पैदा होने की संभावना कम हो जाती है तथा इससे मां और बच्चे दोनों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
  • गर्भावस्था में बेड रेस्ट करने वाली pregnant स्त्रीओं में स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं पैदा हो जाती है। यह होने वाले  बच्चे के लिए भी खतरनाक है।
  • बेड रेस्ट करने से मांसपेशियों की कार्यक्षमता में कमी आती है जिससे हड्डियों को भी हानि पहुंचती है। इसके अलावा pregnant स्त्रीओं तथा उनसे  जन्म लेने वाले बच्चे का वजन भी घट जाता है।
  • pregnant स्त्रीएं ज्यादा बेड रेस्ट करने से थकान और ऊबाउपन महसूस करती हैं। उनके सोने का क्रम भी बिगड़ जाता है। साथ ही वे डिप्रेशन की शिकार भी हो सकती हैं।
  • pregnant स्त्रीओं के बेड रेस्ट करने से अपच तथा पीठ की दर्द की शिकायत रहती है।
  • स्त्रीओं के ज्यादा आराम करने से प्रसव के दौरान सिजेरियन की संभावना बढ़ जाती है।
  • ज्यादा बेड रेस्ट करने से स्त्रीओं में वजन बढ़ने की समस्या हो जाती है जिससे कई अन्य बीमारियां होने का खतरा रहता है जैसे मधुमेह, हृदय रोग, रक्तचाप आदि।
  • गर्भावस्था में हल्का व्यायाम काफी जरूरी होता है। इससे शरीर में फूर्ति बनी रहती है और डिलवरी के समय आसानी रहती है।